परवेज अख्तर/सिवान: खरीफ फसली सीजन में धान के फसल की कटाई शुरू हो गई है। ऐसे में विभाग द्वारा फसल की कटाई करने के बाद पराली को खेत में जलाने से राेकने को लेकर सख्त कदम उठाए जा रहे है। वहीं दैनिक जागरण के स्थानीय रविवारीय संस्करण में ‘पराली जलाते पकड़े जाने पर तीन साल तक कृषि लाभ से होना होगा वंचित’ खबर प्रकाशित होने के बाद सख्ती बरतते हुए सोमवार को जिला परिषद सभागार में फसल अवशेष प्रबंधन संबंधी जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता अपर समाहर्ता जावेद अहसन अंसारी ने की। इस दौरान खेतों में फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर पडऩे वाले बुरे प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की गई।
एडीएम ने बताया कि किसानों द्वारा मजदूरों के अभाव में फसलों विशेषकर धान व गेहूं के कटनी के उपरांत फसल अवशेष यथा खुट्टी, पुआल, भूसा को खेतों में ही जला दिया जाता है। इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है। इस समस्या के निराकरण हेतु जिलास्तर पर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय होना तथा उनके कार्यों एवं दायित्वों का निर्धारण करना आवश्यक है। जिला कृषि पदाधिकारी जयराम पाल ने बताया कि जिले में कुल 40 हार्वेस्टर संचालक हैं। उन सभी को हार्वेस्टर में एसएमएस लगाने का सख्त निर्देश दिया गया। यह भी बताया गया कि पराली जलाते पकड़े जाने पर किसानों को अर्थदंड के अलावा कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से मिलने वाले सरकारी अनुदान के लाभ से भी तीन साल के लिए वंचित कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित किसान पर एफआईआर का भी निर्देश विभाग से प्राप्त हुआ है।