परवेज अख्तर/सिवान: लॉकडाउन के कारण जिले में परिवार नियोजन की योजना प्रभावित हो रही है। इस दौरान परिवार नियोजन सामग्री का भी वितरण नहीं हो पा रहा है. महिलाओं तक गर्भनिरोधक गोलियां भी नहीं पहुंच पा रही हैं. परिवार नियोजन पर भी एक तरह से कोरोना का ग्रहण लग चुका है. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो हर माह डेढ़ से दो हजार के करीब बंध्याकरण किया जाता है. जबकि योग्य दंपती परिवार नियोजन के अन्य साधन उपयोग करते हैं, लेकिन कोविड 19 व लॉकडाउन के कारण बंध्याकरण से लेकर अन्य उपायों के उपयोग में कमी आई है.
संक्रमण से बचाव में स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी के कारण हुआ है प्रभावित
डीपीएम ठाकुर विश्वमोहन ने बताया कि परिवार नियोजन को लेकर आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भ निरोधक गोली, कंडोम आदि का वितरण किया जाता है. जबकि आशा कार्यकर्ता भी घर-घर जाकर योग्य दंपती को परिवार नियोजन की सलाह देती हैं, लेकिन करीब दो माह से आशा कार्यकर्ता व एएनएम आदि भी कोरोना संक्रमण से बचाव में ड्यूटी कर रही हैं. जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन भी नहीं हो रहा है. ऐसे में परिवार नियोजन को भी कोरोना का झटका लग रहा है.
परिवार नियोजन की जिम्मेदारी ढो रही आधी आबादी
बता दें कि आज भी परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ आधी आबादी ही विशेष रूप से ढो रही हैं. बच्चा ना हो इसका पालन हर समय महिलाएं ही करती हैं. गांवों में अभी भी परिवार नियोजन के तरीके अपनाने वाले पुरुष ना के बराबर हैं. महिलाओं को ही इसके उपाय करने पड़ते हैं.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
लॉकडाउन के दौरान परिवार नियोजन के साधन के औसत उपयोग में कमी आई है. सभी आशा कार्यकर्ता व एएनएम द्वारा संबंधित क्षेत्र के प्रत्येक घरों में जाकर कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ-साथ परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है.
डॉ यदुवंश कुमार शर्मा, सिविल सर्जन, सीवान