सीवान: फरोग-ए-उर्दू सेमिनार, कार्यशाला सह मुशायरा का हुआ आयोजन

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✍️परवेज अख्तर/एडिटर इन चीफ
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, उर्दू निदेशालय, बिहार पटना के आदेशानुसार जिला उर्दूू कोषांग के तत्वाधान में सोमवार को जिला स्तरीय फरोग-ए-उर्दू सेमिनार, कार्यशाला सह मुशायरा का हुआ आयोजन शहर के टाउन हाल में किया गया। उप विकास आयुक्त भूपेंद्र प्रसाद यादव, जिला अल्पसंख्यक कल्याण सह जिला उर्दू कोषांग प्रभारी राकेश कुमार, हिंदी उर्दू साहित्य एकेडमी के सचिव आरिफ हसनैन, शिक्षिका नूसरत व प्राचार्य नूर आबेदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। कार्यक्रम दो सत्र में आयोजित किया गया। पहले सत्र में उर्दू भाषी विद्यार्थी प्रोत्साहन राज्य योजना के अंतर्गत मैट्रक, इंटर, स्नातक व समकक्ष स्तर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने हेतु आयोजित भाषण प्रतियोगिता में सफल सभी 48 प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र व मेडल देकर पुरस्कृत किया गया। तत्पश्चात राज्य की दूसरी राज्यभाषा उर्दू के कार्यान्वयन एवं विकास विषय पर समिनार का आयोजन किया गया।

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वहीं दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्राओं द्वारा अल्लामा इकवाल का नगमा ””चिश्ती ने जिस जमीं पर पैगामे हक सुनाया, नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया” मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है”…पेश किया गया। अपने संबोधन में डीडीसी ने उर्दू भाषा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक मीठी जुबान है। अपनी उत्पत्ति से लेकर आज तक भारत की सभ्यता एवं संस्कृति को प्रभावित कर रही है। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को सजाने-संवारने में इस भाषा ने काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कहा कि सरकार और प्रशासन उर्दू भाषा के फरोग के लिए कृत संकल्प है। मुशायरा में कमर कमाली, कैस गोपालपुरी, फारुक सिवानी, जेया कुतुबी, सुनील कुमार तंग,तारिक सिवानी, जाहिद सिवानी,अल्का श्रीवास्तव,नोबिल गोपालपुरी, राधिका रंजन सुशील, यासूब गोपालपुरी,आरिफ हसनैन ने अपना कलाम पेश किया।