परवेज अख्तर/सिवान: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को संपन्न हो गया। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोगों ने जन कल्याण की कामना की। सुबह के अर्घ्य को देने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ छठ पूजा घाटों पर दिखी। आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में भी हर्षोल्लास दिखा। व्रतियों ने आस्था के पवित्र जल में डुबकी लगाई। गौरतलब हो कि चार दिनों के महापर्व में पहले दिन शनिवार को नहाय खाय से शुरूआत हुई और मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो गया। आंदर के पड़ेजी निवासी आचार्य उमाशंकर पांडेय ने बताया कि महापर्व के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा होती है। वहीं सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना की गई थी।
रंगीन बल्बों व झालरों से सजाए गए थे छठ घाट :
इस दौरान छठ घाटों की पूजा समितियों ने बेहतर ढंग से सजावट की थी, रंगीन बल्बों और झालरों से सजा तालाबों का छठ घाट आकर्षक नजर आ रहा था। जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में छठ घाटों के अलावा कई तालाबों में भी सुबह तीन बजे से ही लोगों का पहुंचना जारी रहा। लोग पहुंचते रहे और छठ घाटों पर प्रसाद के सूप और डालों को सजाकर लोग रखते गए। छठ व्रती महिलाएं तालाबों में उतरकर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करती दिखीं और इस दौरान छठव्रती सूर्य की उपासना करती नजर आईं।
भगवान भास्कर के उदय होने के साथ अर्घ्य देने का सिलसिला हुआ शुरू :
भगवान भास्कर के उदय होते ही लोगों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और भगवान की स्तुति की। उदय होने के साथ ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बाद लोगों ने काफी देर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और हवन की। श्रद्धालुओं ने अर्घ्य देने के साथ ही सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही अगले साल फिर से छठ का अनुष्ठान करने की बात कही।