24 घंटे का निर्जला व्रत रखकर आज करेंगी पारण
✍️परवेज़ अख्तर/सिवान:
अश्विन मास की कृष्णपक्ष अष्टमी माताओं ने अपने पुत्र की सलामती के लिए जीवित पुत्रिका व्रत का निर्जला उपवास रखा। शुक्रवार की शाम नदी व तालाब में स्नान कर संतान की दीर्घायु, आरोग्य व कल्याण के लिए पूजा-अर्चना की। पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम में नदी या तालाब में स्नान करने के साथ ही कई महिलाओं ने घर पर भी स्नान कर दान-पुण्य किया। जिले के दरौली स्थित सरयू नदी, गुठनी स्थित छोटी गंडकी नदी, कचनार, गंगपुर, सिसवन, बखरी, मेहंदार सहित शहर के दाहा नदी में भी काफी संख्या में महिलाओं ने स्नान-ध्यान कर दान-पुण्य किया। इस मौके पर मंदिरों में व्रती माताओं ने जिउतिया व्रत की कथा सुनी। साथ ही अरियार व बरियार के पौधे काे गले लगाया। जीतिया व्रत का विशेष पूजन व कथा श्रवण कर माताओं ने अपने पुत्र की उन्नति, शारीरिक निरोगिता, स्वास्थ्य कामना और सौभाग्य कामना के निमित नियम-संयम से श्रद्धापूर्वक पूजा की।
आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि जिउतिया व्रत पुत्र प्राप्ति व उसके मंगलमय जीवन के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि लोक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में एक चील व सियारिन थी। महिलाओं ने व्रत के मौके पर की दान देकर पितृपक्ष के मध्य में पुत्र की कामना व कुशलता के लिए माताएं जिउतिया का व्रत करती हैं। वहीं जीरादेई, पचरुखी, आंदर, महाराजगंज, भगवानपुर हाट, गोरेयाकोठी, बसंतपुर, लकड़ी नबीगंज, रघुनाथपुर, बड़हरिया, नौतन, मैरवा, हसनपुरा, हुसैनगंज सहित सभी प्रखंडों में माताओं ने जीवित पुत्रिका व्रत रखकर संतान के यशस्वी होने व उनकी कल्याण की कामना की। इधर शनिवार को माताएं पारण कर जिउतिया व्रत का समापन करेंगी।