सिवान: राष्ट्रीय डेंगू दिवस: घरों के अंदर छुपा हो सकता है डेंगू का मच्छर

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डेंगू बुख़ार की शुरुआत बरसात के समय में होने से बचाव जरूरी

परवेज अख्तर/सीवान: डेंगू एक जानलेवा बीमारी है. जो आपके घर के अंदर ही आपको अपना शिकार बना सकता है. डेंगू से हर साल लाखों लोग पीड़ित होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि खुद और अपने परिवार को इस खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए हरसंभव सावधानियां बरती जाए. पूरे विश्व में डेंगू एक गंभीर बीमारी के रूप में उभरा हुआ है. प्रत्येक वर्ष इस घातक बीमारी की वजह से लाखों लोग अपनी जान गंवा देते है. वहीं हमारे देश में भी हर साल बड़ी संख्या में लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. डेंगू बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है. सदर अस्पताल में विधायक कर्णजीत सिंह की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया. डेंगू दिवस को लेकर स्वास्थ्य विभाग, केयर इंडिया, डब्ल्यूएचओ, पीसीआई सहित कई अन्य सहयोगी संस्थाओं के द्वारा ज़िले के सभी अनुमंडलीय अस्पताल, रेफ़रल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाता है. वहीं समय समय पर तरह–तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर जागरूक भी किया जाता है.

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आपके घरों के अंदर छुपा हो सकता है डेंगू का मच्छर

सीएस डॉ यदुवंश कुमार शर्मा ने बताया कि यह भ्रम है कि डेंगू मच्छर ऐसी जगहों में पनपता है जहां गंदगी होती या जहां गंदा पानी इकठ्ठा होता है. डेंगू के मच्छर का गंदगी से कोई ज्यादा मतलब नहीं होता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से होती है. डेंगू फैलाने वाले यह मच्छर आपके घरों में रखे गमलों, कूलर, एसी में जमा पानी से भी पैदा हो सकते हैं. यह जरूरी नहीं है कि लगातार मच्छर के काटने से ही डेंगू का संक्रमण होगा. एक एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से आप डेंगू संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए अगर आपके घर में किसी भी तरह का कोई मच्छर भी दिखे, तो उसे हल्के में ना लें. जितना जल्दी हो सके उससे बचने का प्रयास करें. विभिन्न उपायों से मच्छरों को नष्ट करने में कोई चूक न होने दें.

लापरवाही के कारण बढ़ जाती है डेंगू फ़ैलने की आशंका

डीएमओ डॉ एमआर रंजन ने बताया इस वर्ष राष्ट्रीय डेंगू दिवस का थीम “डेंगू इज प्रिवेंटिएबल: लेट्स जॉइन हैंड्स” रखा गया है. डेंगू की बीमारी एडीज मच्छर के काटने से होती है. इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होने लगते हैं. अगर प्लेटलेट्स बेहद कम हो जाए तो इससे मरीज की मौत भी हो जाती है. डेंगू के मामले मानसून के शूरू होने के बाद से ही सामने आने लगते हैं. दरअसल, डेंगू का लार्वा रुके हुए 7 दिन या उससे अधिक ठहरे हुए साफ पानी में ही पनपता है. ऐसी सूरत में लापरवाही बरतने पर डेंगू फैलने की आशंका काफ़ी बढ़ जाती है. डेंगू एक फ्लू जैसी बीमारी है जो डेंगू वायरस के कारण होती है. डेंगू वायरस मच्छर के दिन में काटने से फैलता है.

डेंगू बुख़ार की शुरुआत बरसात के समय में होने से बचाव जरूरी:

डेंगू बुखार एडीज एजिप्टी मच्छर जनित वायरल संक्रमण है, जो जल्दी किसी भी व्यक्ति खास कर बच्चों में बहुत ही जल्दी फैलता है. इसकी रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाना पड़ता है. जिससे काफ़ी हद तक इसके प्रसार को नियंत्रित करने में मदद मिलती ह. आपको खुद और अपने परिवार को डेंगू बुखार से बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. डेंगू बुखार की शुरुआत कुछ साधारण से लक्षणों से होती है जिन्हें लोग आमतौर पर पहले नजरअंदाज कर देते हैं. इसलिए इस बीमारी को रोकना इसके इलाज से बेहतर व सरल तरीका है. डेंगू निवारक उपायों में मुख्य रूप से मच्छरों के प्रजनन को रोकने के उपाय और मच्छरों के काटने से बचाव के तरीके शामिल हैं.

डेंगू मच्छर से बचाव के लिए इन उपायों का करें प्रयोग:

  • बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ देने का प्रयास करें.
  • बच्चों को तेल और मसालेदार खाने से परहेज करें. साथ ही हल्का एवं पौष्टिक भोजन दें.
  • घर के बाहर नीम की पत्तियां या नारियल की छाल को जलाकर मच्छरों को दूर भगाया जा सकता है.
  • घर के आसपास के क्षेत्रों की सफाई पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए.
  • आसपास के स्थलों में पानी के जमा होने से रोकें.
  • सोने से पहले मच्छरदानी का प्रयोग करें.
  • एडीज के मच्छर साफ स्थिर पानी में पनपते हैं.
  • कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रीज की ट्रे, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली करें एवं धूप में सुखाकर प्रयोग करें.
  • घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली परदे लगाएं.

डेंगू से संबंधित मुख्य लक्षण:

  • अचानक तेज सिर दर्द व तेज बुखार.
  • मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना.
  • आंखों के पीछे दर्द होना जो कि आंखों को घुमाने से बढ़ता है.
  • जी मिचलाना एवं उल्टी होना.
  • गंभीर मामलों में नाक, मुंह व मसूड़ों से खून आना.