परवेज अख्तर/सिवान: देश को पूर्णत: टीबी मुक्त बनाने के लिए 2025 तक लक्ष्य निर्धारित है। वहीं राज्य में 2024 के अंत तक टीबी मुक्त भारत अभियान के उद्देश्य को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा मरीजों के पूरे परिवार को आइसोनियाजिड दवा उपलब्ध कराई जा रही है ताकि मरीजों के परिवार के सदस्यों में संक्रमण की संभावना न रहे। संचारी रोग पदाधिकारी डा अनिल कुमार सिंह ने बताया कि एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच व इलाज किया जाता है।
टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में जब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो जाती तो इलाज काफी लंबा हो जाता है इसलिए टीबी की दवा का सेवन नियमित रूप से करें। उन्होंने कहाकि जिस घर में टीबी के मरीज पाए जाते हैं तथा मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को टीबी से सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए आइसोनियाजिड की दवा दी जाती है। पांच साल से छोटे बच्चों को आइएनएच सौ एम जी एवं पांच साल से ऊपर के लोगों को आइएनएच तीन सौ एमजी की दवा लगातार छह माह तक दी जाती है। दवा का सेवन मरीजों के साथ साथ परिवार के सदस्य कर रहे हैं या नहीं इसके लिए सभी प्रखंडों में एसटीएस को गृह भ्रमण करने की जिम्मेदारी दी गई है।