परवेज अख्तर/सिवान: पितरों के श्राद्ध व तर्पण का महापर्व पितृपक्ष शनिवार से शुरू हो गया। इस दौरान जिले के सरयू, दाहा, गंडकी नदी सहित सरोवरों में स्नान आदि कर पितृदेव की पूजा अर्चना की गई। शनिवार की अल सुबह से ही गुठनी के ग्यासपुर, दरौली के सरयू घाट, रघुनाथपुर के नरहन स्थित नदी घाटों पर लोग उमड़ पड़े थे। स्नानादि के बाद तपर्ण के लिए हाथ में जल, कुश, अक्षत व फूल लेकर दक्षिण दिशा में मुख कर तिलांजलि दी गई। इसके बाद घर में बने भोजन पकवानों की दोनियां निकाली गई। साथ ही विद्वान ब्राह्मणों व सुपात्र लोगों को भोजन कराकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की गई। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत अधिक महत्व है। पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंडदान करने की परंपरा निभाई जाती है।
मृत्यु की सही तारीख पता नहीं होने की स्थिति में इन दिनों किया जा सकता है श्राद्ध :
आचार्य ने बताया कि अगर किसी परिजन की मृत्यु की सही तारीख पता नहीं है तो आश्विन अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है। पिता की मृत्यु होने पर अष्टमी तिथि और माता की मृत्यु होने पर नवमी तिथि तय की गई है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी दुर्घटना में हुई तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए।