सुबह 10 बजे के बाद सड़कों पर पसर जा रहा सन्नाटा
परवेज अख्तर/सिवान: जिले में पड़ रही भीषण गर्मी से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है। गुरुवार को जिले का अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। जबकि न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। तीखी धूप के कारण सुबह नौ बजे से ही लोग अपने अपने घरों में दुबकने को विवश हो जा रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि भरी दोपहर में सड़कें वीरान हो जा रही हैं। गुरुवार को हिट वेब के चलने के कारण स्थिति और दयनीय रही। तेज धूप के कारण आसमान बदरंग और धरती तपने लगी है। वर्षा नहीं होने के कारण खेतों की मिट्टी रेत का रूप लेने लगी है। वहीं बढ़ते तापमान को लेकर किसान चिंतित हैं। किसान धान का बीज खेतों में डालने हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। प्री मानसून की वर्षा नहीं होने और मानसून के आने में विलंब की आशंका जताए जाने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। विगत वर्ष धान का बिचड़ा नुकसान होने से किसानों ने काफी परेशानी उठाई थी। इसको लेकर इस बार सचेत हैं, लेकिन मौसम अनुकूल नहीं देखकर चिंता बढ़ी है। बता दें कि 25 मई से ही धान का बीज गिराने का काम शुरू हो जाता है ताकि समय पर बिचड़ा तैयार हो सके और मानसून की बारिश शुरू होते ही रोपनी शुरू की जा सके, लेकिन दो सप्ताह बीत जाने के बावजूद किसानों को खेत में धान का बिचड़ा तैयार करने के लिए बीज गिराते नहीं देखा जा रहा है। लंबी अवधि (150 से 160 दिन) वाले धान का बीज 25 मई से 15 जून तक और कम अवधि (120 से 125 दिन) वाले धान का बीज 15 जून के बाद खेतों में गिराया जाता है। लंबी अवधि के धान का बीज गिराने के लिए निर्धारित समय हाथ से निकलता जा रहा है। यह अलग बात है कि कम अवधि वाले धान बीज गिराने का समय किसानों के पास है। बता दें कि मैरवा प्रखंड में करीब 2500 हेक्टर क्षेत्रफल में धान की खेती प्रति वर्ष होती है।
नहर में पानी नहीं आने से भी किसान चिंतित :
वर्षा नहीं होने तथा तापमान बढ़ने से किसान चिंतित तो हैं ही नहर में पानी नहीं आने से भी किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। नहरों में पेड़ पौधे उग आए हैं। यह हाल दारौंदा प्रखंड की है। किसानों ने बताया कि नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से नहर में पेड़ पौधे उग आए हैं। पानी के इंतजार में किसानों द्वारा अबतक खेतों में धान का बिचड़ा नहीं डाला गया है। जिन किसानों ने सिंचाई करके रोपाई का काम शुरू भी किया है, तेज धूप के कारण खेतों की नमी खत्म हो गई है और खेतों में दरारें पड़ने लगीं । किसान घर से पूंजी लगा रोपाई करने से परहेज कर रहे हैं। दारौंदा के किसान तारकेश्वर सिंह, सत्यदेव सिंह, इंद्र दीप मिश्रा, संतोष कुमार सिंह, संजय राम, आजाद अली आदि ने बताया कि एक बीघे धान की खेती में पलेवा के लिए एक हजार, रोपाई के लिए 12 सौ, डीएपी और खरपतवार नाशक डालने के लिए भी करीब सात सौ की लागत पड़ती है। सिंचाई के लिए नहर का साधन नहीं होने से पंपसेट के माध्यम से धान की खेती पूरी तरह घाटे का सौदा साबित होती है। महंगे दर का धान का बीज खरीदकर नर्सरी तैयार की गई है। वर्षा हुई तो रोपनी की जाएगी और मौसम साथ नहीं देगा तो धान की रोपाई नहीं करेंगे। इस संबंध में दारौंदा कृषि समन्वयक रवि राय ने बताया कि 15 जून से मौसम में बदलाव होने पर किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है।