✍️परवेज अख्तर/सिवान: आज शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा का विधान है। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय के अनुसार देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। स्कंदमाता प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं। आचार्य ने बताया कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपतियों को इस दिन सच्चे मन से मां के पांचवें स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। इससे उनकी मुरादें पूरी होंगी। स्कंदमाता को भोग स्वरूप केला अर्पित करना चाहिए। मां को पीली वस्तुएं प्रिय होती हैं, इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं। नवरात्र के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री लाल फूल और अक्षत समेत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जो भक्त देवी स्कंदमाता का भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।
ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा :
आचार्य ने बताया कि मां के शृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा विनम्रता के साथ करनी चाहिए। कुश अथवा कंबल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। पौराणिक तथ्यों के अनुसार, स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पूजा में कुमकुम, अक्षत से पूजा करें। चंदन लगाएं। तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं। पीले रंग के कपड़े पहनें। मां स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करें।