परवेज अख्तर/सिवान: सोमवार कि दोपहर पुलिस कप्तान शैलेश कुमार सिन्हा ने पुलिस लाइन परिसर में नाफीस कार्यालय का औचक निरीक्षण किया.नाफिस अपराधियों को पकड़ने में मददगार साबित हो रहा है.बताते चलें कि (नेशनल आटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) की मदद से चोरों और लुटेरों समेत अन्य अपराध में संलिप्त शातिरों को पकड़ने की कवायद जारी है.पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिले में इसे लागू किया गया है. इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं. जैसे ही, वह अपराधी देश में कहीं भी दूसरी वारदात करता है. यदि डेटाबेस में फ़िंगरप्रिंट है, तो कुछ ही मिनटों में एक मिलान पाया जा सकता है. यही नही नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम (नाफिस) दरअसल, देशभर में हर अपराधी की कुंडली तैयार कर रहा है.नाफिस को नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से जोड़ा गया है.
इस पर अगर किसी अपराधी का कोई विवरण एक बार दर्ज हो गया तो फिर इसमें फेरबदल संभव नहीं हो सकेगा. नाफिस में प्रत्येक अपराधी का नाम, पता, कहां-कहां अपराध किए, किस-किस जेल में रह चुका है? के साथ पूरा आपराधिक इतिहास दर्ज होता है.इसके साथ-साथ अंगुलियों की छाप , पैरों-तलवों की छाप , आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा भी इसमें शामिल किया जाता है. सीवान में भी नफीसा कार्यालय में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का डाटा अपलोड किया जा रहा है. जिसका निरीक्षण एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने सोमवार की दोपहर की जहां नाफीस कार्यालय में संसाधनों की कमी और पदाधिकारियों की कमी की बात सामने आई है. जिसे जल्द से जल्द पूरा करने की बात कहीं गई.