परवेज अख्तर/सिवान: कालाजार से बचाव के लिए मैरवा एवं हसनपुरा में कर्मियों द्वारा चिह्नित गांवों में दवा का छिड़काव कार्य तेजी से किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मैरवा प्रखंड में कालाजार से बचाव के लिए दवा छिड़काव कार्य तेजी से चल रहा है। छिड़काव कार्य में दो टीम लगाए गए हैं। प्रत्येक टीम में छह कर्मी शामिल हैं। प्रखंड के कुल 13 गांव में कालाजार बचाव के लिए दवा छिड़काव का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ये गांव पूर्व में कालाजार से प्रभावित चिह्नित किए गए थे। सभी गांव में कालाजार दवा का छिड़काव किया जाएगा। शुक्रवार को दोनों टीम अलग- अलग गांव में छिड़काव कार्य लगी रही। एक टीम सेवतापुर और दूसरी टीम द्वारा सेमरा पंचायत के धुसा गांव में दवा छिड़काव किया गया।
अब तक पांच गांव में छिड़काव का कार्य पूरा कर लिया गया। वहीं आठ गांव में अभी छिड़काव किया जाना बाकी है। जानकारी के अनुसार बड़का मांझा पंचायत के चितमठ, कबीरपुर पंचायत के इमनौली और कबीरपुर, सेवतापुर पंचायत के डोमडीह और सेवतापुर में कालाजार दवा छिड़काव का काम पूरा कर लिया गया है। वहीं सेमरा पंचायत के धुसा में छिड़काव का कार्य चल रहा है। कर्मियों के अनुसार सेमरा, सिसवा खुर्द, बरासो, धरहरा, लक्ष्मीपुर, मुड़ियारी और फरछुआ गांव छिड़काव कार्य बाकी है। वहीं दूसरी ओर हसनपुरा प्रखंड में कालाजार उन्मूलन को लेकर दवा छिड़काव करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया गया है।
इस क्रम में प्रखंड के सहुली, पियाउर, उसरी खुर्द, गायघाट, लहेजी पंचायतों के गांवों में कालाजार का छिड़काव किया जा रहा है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. अभय कुमार ने बताया कि छिड़काव का कार्य फलदूधिया टोला, उसरी खुर्द, गायघाट, लहेजी बाजार में छिड़काव का निर्देश मिला है। उन्होंने ने बताया कि कालाजार की वाहक बालू माक्षिका को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए दवाई स्प्रे (आइआरएस) किया जाता है। यह एक वायरस जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू माक्षिका के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इस रोग से ग्रस्त मरीज खासकर व्यक्तियों हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। इसी से इसका नाम कालाजार पड़ा है।