✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
मौसम में बदलाव के साथ अब लोगों को गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है। शाम ढलते ही लोगों को अब ठंड ज्यादा महसूस हो रही है और बदलते मौसम के कारण बच्चों में सबसे ज्यादा वायरल बीमार होने की शिकायत मिल रही है। खास कर छोटे बच्चे निमोनिया की जद में सबसे ज्यादा आ रहे हैं। सदर अस्पताल समेत अनुमंडलीय अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले रोगियों में 10 फीसदी मरीज निमोनिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं। इसमें बच्चों की संख्या अधिक रह रही है। सिविल सर्जन डा. प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि निमोनिया रोग शिशुओं के मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है। इसका प्रमुख कारण कुपोषण व कमजाेर प्रतिरोधक क्षमता भी है। सर्दी के मौसम में बच्चों के ज्यादातर निमोनिया से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है। बताया कि यह रोग वैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इससे एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है। इससे सांस लेने में तकलीफ होने लगता है।
इन लक्षणों से की जा सकती है रोग की पहचान :
सिविल सर्जन ने बताया कि सर्दी के आगमन से शिशुओं को कई तरह के संक्रामक रोग हो सकते हैं। यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी हो, उल्टी, दस्त, सांस लेने में परेशानी हो, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी के दौरान खून आए, भूख का ना लगना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। ये निमोनिया के संकेत हो सकते हैं। इसमें जरा सी भी लापरवाही शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।