- बिहार में जर्जर शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ़ लड़ेगा आइसा
- सरकारी शिक्षण संस्थानों को खत्म करने के सरकार के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगा आइसा
परवेज अख्तर/सिवान: शहर के पकड़ी में चल रहे आइसा बिहार राज्य परिषद की दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन शहर में स्थित चंद्रशेखर( चंदू) एवं डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण किया एवं साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, फांसीवाद मुर्दाबाद एवं इंकलाब जिंदाबाद जैसे क्रांतिकारी नारे भी लगाए. बैठक के दूसरे दिन के सत्र में नयी शिक्षा नीति 2020 को ले कर के चर्चा की गयी और किस तरह से नयी शिक्षा नीति 2020 वंचित तबकों को और हाशिए पर कर देगा. नयी शिक्षा नीति 2020 आरक्षण को खत्म कर देने की बात कहता है.
नयी शिक्षा नीति 2020 अकादमिक एकरूपता की बात करता है. मेडिकल में नीट और इंजीनियरिंग में जेईई की तरह ही एककृत एकल प्रवेश परीक्षा एनईपी लाएगा जो ग्रामीण भारत के छात्र छात्राओं के खिलाफ है. यह शिक्षा को खरीद फरोख्त की वस्तु बनाता है. नयी शिक्षा नीति 2020 को अलोकतांत्रिक तरीके से प्रेस कांफ्रेंस के द्वारा लागू किया गया है. आइसा बिहार राज्य सचिव सबीर कुमार एवं बिहार राज्य अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से कहा कि आगामी एक महीनें आइसा पूरे बिहार भर में 35 हजार सदस्यता अभियान चलाएगा और नयी शिक्षा नीति को ख़ारिज करने को ले कर पूरे बिहार भर के विश्वविद्यालयों को हस्ताक्षर अभियान चलाएगा और नयी शिक्षा नीति के खिलाफ निर्णायक आंदोलन करेगा.
बिहार में बढ़ते सांप्रदायिकता के खिलाफ भी आइसा मुखरता से लड़ेगा. बिहार में जर्जर शिक्षा व्यवस्था और बर्बाद होते विश्वविद्यालयों को बचाने की निर्णायक लडाई आइसा लड़ रहा है और आगे भी लड़ेगा. आरएसएस और एबीवीपी विश्वविद्यालयों को हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाने की कोशिश कर रहे हैं. देश भर में आइसा लड़ रहा है. बिहार के विश्वविद्यालयों को सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला आइसा कभी बनने नहीं देगा.