परवेज अख्तर/सिवान: माडल डीड के विरोध में मुख्यालय स्थित अवर निबंधन कार्यालय में कातिबों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रहा। कातिबों ने काला बिल्ला लगाकर सरकार की नीति के विरुद्ध प्रदर्शन किया। कातिबों का आरोप है कि बिहार सरकार के मुख्य सचिव मद्य निषेध व निबंधन विभाग के केके पाठक के आदेश से बिहार सरकार अब हस्तलिखित डीड स्वीकार नहीं करेगी। माडल डीड के माध्यम से ही जमीन का निबंधन किया जाएगा। कातिबों की हड़ताल से बड़हरिया अवर निबंधन कार्यालय में काम काज ठप रहा। तीन दिनों में सिर्फ एक माडल डीड से निबंधन किया गया इससे अवर निबंधन कार्यालय का राजस्व करीब शून्य रहा। अधिकारी व कर्मचारी जमीन रजिस्ट्री कराने आने वालों की राह देखते रहे, लेकिन कोई ग्राहक नहीं पहुंचा। कातिबों का कहना है कि सरकार के इस हिटलर शाही रवैये से आम जन में काफी निराशा है। ज्ञात हो कि बिहार सरकार ने 26 अक्टूबर को ही निबंधन कार्यालय का साइट को बंद कर दिया इससे गांव देहात के निरक्षर और कम पढ़े लिखे लोगों को निबंधन कराने में कठिनाई का सामना पड़ रहा है, लेकिन बिहार सरकार के तानाशाही फरमान से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हड़ताल का नेतृत्व कर रहे कातिब अजीमुल्लाह खान ने बताया कि सरकार के इस फरमान से आम जन काफी परेशान है।
जब तक सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती हड़ताल जारी रहेगा। कातिब आसिफ जमाल ने बताया कि माडल डीड के नाम पर सरकार जमीन के मूल्यांकन का 20 प्रतिशत राशि अधिक वसूल रही है, जो आम जन के हित के विरुद्ध है। इस संबंध में अवर निबंधन कार्यालय के निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार सुनील कुमार दास ने बताया कि सरकार ने जनता से सीधा संवाद करने के लिए माडल डीड के रूप में कार्य करने की योजना बनाई है जो जनता के विरुद्ध नहीं बल्कि पक्ष में है। उंन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में जागरुकता के अभाव में निबंधन कार्यालय में निबंधन का कार्य कम हुआ है, लेकिन जैसे-जैसे जनता में जागरुकता पैदा होगी लोग माडल डीड के रूप में इसे स्वीकार करेंगे और जनता का खर्च एवं समय दोनों की बचत होगी। इस अवसर पर नसीम अख्तर, अजीमुल्लाह खान, नवीन प्रसाद, मोहन प्रसाद, अनिल प्रसाद, आनंद कुमार, सत्यनारायण यादव, सुरेश शर्मा, आसिफ, चंद्रिका शर्मा, जमाल अहमद, विपिन बिहारी श्रीवास्तव, शिवबलि यादव, शाहबाज अनवर, रामशंकर पंडित, अनिल प्रसाद, रामेश्वर राय सहित सभी कातिब उपस्थित थे।