पटना: विधानसभा सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से बदसलूकी मामले पर भाजपा और राजद के विधायक एक साथ दिखे। सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया। स्थिति ऐसी हो गई कि स्पीकर को सदन की कार्रवाही स्थगित करनी पड़ी। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई गई। इसके बाद स्पीकर ने बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। बताया कि लखीसराय के एसडीपीओ और दो थानेदारों को जांच पूरी होने तक पद से हटाया जाएगा। इस दौरान विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायक संजय सरावगी ने डीजीपी के बाडी लैंग्वेज की आपत्ति जताई।
सदन की कार्रवाही शुरू होते ही विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव और डीजीपी को बुलाने के मसले पर सदस्यों के हंगामे के कारण प्रश्नोत्तर काल में सदन की कार्रवाही स्थगित करनी पड़ी। दोबारा कार्रवाही शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि दुर्व्यवहार के आरोपित डीएसपी और दोनों थानाध्यक्षों को जांच रिपोर्ट आने तक उनके पद से हटाया जाएगा। भाजपा विधायक ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि विस अध्यक्ष से मिलकर निकले तो उनका बाडी लैंग्वेज आपत्तिजनक था। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने भी दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि दोषी अधिकारी पर कार्रवाई जरूर होगी। इस दौरान हंगामा होता देख मंत्री ने कहा कि क्या विधायकों को आसन पर भरोसा नहीं है। इस पर विस अध्यक्ष ने कहा कि जिन विधायकों को आसन पर भरोसा है, वे खड़े हो जाएं। इसके बाद सारे सदस्य अपनी सीट पर खड़े हो गए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई। डीजीपी ने 15 दिनों में जांच रिपोर्ट देने की बात कही है। रिपोर्ट आने तक डीएसपी और दोनों थाना प्रभारियों को उनके मैजूदा पद से हटाए जाने को कहा गया है ताकि जांच प्रभावित नहीं हो।