जिले में लगातार बारिश की वजह से बर्बाद हुआ पालक, मूली और फूलगोभी

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  • हथिया नक्षत्र में हुई बारिश से किसानों को भारी नुकसान की आशंका
  • तरोई-नेनुआ व बैगन-भिंडी के पौधे पर भी दिख रहा बारिश का असर
  • 04 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने उगाई गईं हैं सब्जियां
  • 01 रुपये प्रति पौधे की दर से किसानों ने खरीदे थे बिचड़े

परवेज अख्तर/सिवान: जिले में 1 और 2 अक्तूबर को चक्रवाती तूफान व हथिया नक्षत्र के कारण हुई बारिश से खेत से खलिहान तक पानी से लबालब भरे पड़े हैं। खेत में लगाई गईं सब्जियां जहां जलजमाव से गलने व मुरझाने लगीं हैं, वहीं धान की पकककर तैयार हुई फसल भी बर्बादी के कगार पर है। जलजमाव और हर हाल में रिकार्डतोड़ होती रही बारिश से मक्का, अरहर और बाजार आदि की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी हैं। अब हथिया की बारिश ने किसानों के सपनों को कुचलने का प्रयास किया है। पालक, मूली और फूलगोभी की फसल पर बारिश का असर तो पड़ा ही है, तरोई-नेनुआ और बैगन की फसल भी तबाह के कगार पर है। टमाटर और हरी मिर्च की फसल भी पानी में डूब गईं हैं। किसान प्रति पौधा 1 रुपये की दर से किसानों ने हाल ही में टमाटर, फूलगोभी व हरी मिर्च का पौधा लगाया था। जबकि 1 रुपये में मात्र 2 पौधे बैगन के खरीदकर किसान लगाएं थे। कुछ किसान तो खुद से ही बिचड़ा तैयार करके इसकी बुआई की थी। पालक और मूली की फसल के दो दिनों में ही गलने का सिलसिला जारी है। निखती खुर्द गांव के एक किसान के खेत में लगाई गई आगत किस्म के अगहनी फूलगोभी के पौधे खेत में पानी होने से मुरझाते दिखें। सब्जियों की इस तरह से हो रही बर्बादी से सब्जियां उगाने वाले किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। जिले के सिसवन, रघुनाथपुर और गुठनी के दियारे वाले क्षेत्र में सब्जी तो उगाई जाती ही हैं, अन्य प्रखंडों के डीह, बलुई क्षेत्र और कोराड़ की मिट्टी में सब्जियों की खेती होती है। इधर, मौसम है कि अपना मिजाज बदलने के मूड में नहीं दिख रहा। इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि हाल ही में करेला व भिंडी की फसल भी लगाई गई थी। जिले में 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जियों की फसल उगाईं गईं हैं।

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पशुपालकों के समक्ष चारे की हुई समस्या

जिले के पशुपालकों को भी इस बारिश से परेशानी बढ़ी हुई है। उनके पशुओं के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गयी है। खाली रह गए खेतों में बारिश का पानी भर जाने के कारण पशुओं को अपने चरा नहीं पा रहे हैं। मार्च-अप्रैल में स्टोर किया हुआ भूसा भी समाप्त हो गया है। धान की कटनी में भी विलंब की स्थिति उत्पन्न हो गई है। मजबूरन सड़क के किनारे ही पशुओं को चराने पड़ रहे हैं। कुछ किसान जिनके पास मवेशी है, वे भूसा बेच तो रहे हैं। लेकिन, 5 हजार रुपये एक खोप भूसा का ले रहे हैं। जो आम पशुपालकों की बस की बात नहीं रह गयी है।

कीटों का भी सब्जियों पर बढ़ गया प्रकोप

बारिश के कारण ही कीट-पतंगों का प्रकोप भी बढ़ गया है। टारी बाजार के खाद-बीज दुकानदार राजेश भगत ने बताया कि अभी जिस तरह का मौसम है, इसमें कीटों का प्रकोप बढ़ना लाजमी है। कहा कि किसान कीटनाशक लेने के लिए आ रहे हैं। निखती खुर्द गांव के किसान संजीत प्रसाद ने कहा कि उनका बैगन पानी में डूब गया है। परशुरामपुर गांव के किसान श्रीकिशुन भगत ने कहा कि उन्होंने फूलगोभी एक-डेढ़ महीने पहले लगाया था, अब बारिश के कारण इसके पौधे मुरझाने, सूखने व गलने लगे हैं।

बड़हरिया में सबसे ज्यादा होती है सब्जी की खेती

जिले के बड़हरिया प्रखंड में सब्जी की खेती सबसे ज्यादा होती है। इसके बाद रघुनाथपुर, मैरवा, सिसवन, गुठनी और दरौली में सबसे अधिक सब्जी की खेती होती है। हालांकि, अन्य प्रखंडों में भी सब्जी की खेती थोड़ा-बहुत की जाती है। इधर, बारिश की वजह से उत्पादन कम होने से सब्जियां महंगी हो गईं हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला उद्यान पदाधिकारी अभिजीत कुमार ने कहा कि खेत से पानी उतरने और सूखने के चार-पांच दिनों बाद ही क्षति का आकलन किया जा सकता है। चुकी पानी के खेत से उतरने के बाद ही सब्जियों के पौधों पर इसका असर दिखता है। फिलहाल, जिले में बारिश थमी हुई है।