सूफी अजीज कादरी बिहार के सदियों के शेर थे – मौलाना शमशाद

0

अब्दुल अजीज खान के मजार पर धूमधाम से हुई चादरपोशी

परवेज अख्तर, बड़हरिया- गोपालगंज मुख्यमार्ग स्थित मदरसा जामिया तेगिया अनावरुल उलूम के संस्थापक व हेड मुदरीश सूफी अब्दुल अजीज रह का आज पहला उर्स बहुत धूमधाम से मनाया गया। जहाँ बाद नमाजे ईशा मदरसा के पास उर्शे जेगमे अहले सुन्नत कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था कांफ्रेंस की सुरुवात कारी जफर कादरी ने तिलावते कुरआन ख्वानी से जलशा की सुरुआत किया उसके बाद हिन्दुस्तान के नामी ग्रामी ओलमा ओ सायर आये थे। मुफ़्ती शमशाद घोषी ने कहा कि हजरत सूफी अब्दुल अजीज एक नायाब हीरा की तरह थे बड़हरिया में उन्होंने अपनी जिन्दगी का एक एक लम्हा गरीबी में गुजारा है ओर बड़हरिया की सुन्नियत को बचाने व यहाँ इस्लामिक माहौल बनाने में सूफी अब्दुल अजीज का बहुत बड़ा योगदान है। बड़हरिया के लोग खुशनसीब है कि इतनी बड़ी सख्सियत बड़हरिया को मिला बड़हरिया के लोगो को अपनी किस्मत पर नाज करना चाहिए की सूफी अब्दुल अजीज साहब अपनी जिंदगी की एक एक लम्हा बड़हरिया में गुजार दिया और अब पर्दा फरमाने के बाद भी बड़हरिया में ही सुप्रदे खाक हुवे।जब वह आप के बीच थे तब भी आप उनसे फैज हासिल करते थे और अब पर्दा फरमाने के बाद भी कयामत के दिन तक यहाँ के लोग इनसे फैज हासिल करते रहेंगे। साथ ही कहा कि सूफी अब्दुल अजीज ने अपनी जिंदगी का हर एक मिशन को पूरा किया और उनके बताए हुवे मिशन को उनके पुत्र मौलाना अकील साहब पूरा कर रहे है और पूरा करेंगे उन्होंने अवाम से कहा कि आप जिस तरह से सूफी अजीज साहब का साथ दे रहे थे उसी तरह उनके पुत्र मौलाना अकील का साथ देते रहे। वहीं मौलाना अब्दुल मुस्तुफा रुदौली ने कहा कि बड़हरिया के लोगो के बीच से एक अनमोल रत्न सूफी अब्दुल अजीज साहब साथ छोड़ कर चले गए उन्होंने अपनी जिंदगी में अगर किसी चीज को महत्व दिया तो वह बड़हरिया को ओर अपने इदारा जामिया शमशिया तेगिया को हर एक लम्हा दिया लोग बताते है कि आज से साठ वर्ष पहले जब सूफी अब्दुल अजीज बड़हरिया में आये हुवे थे तो यह जगह एक झोपड़ी नुमा था।

विज्ञापन
pervej akhtar siwan online
WhatsApp Image 2023-10-11 at 9.50.09 PM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.50 AM
WhatsApp Image 2023-10-30 at 10.35.51 AM
ahmadali

 

barhariya news

आज बड़हरिया सिवान ही नही बल्कि बिहार का सबसे बड़ा मदरसा में बड़हरिया का यह मदरसा सुमार किया जाता है यह सब सूफी अब्दुल अजीज के मेहनत का नतीजा है वही शायर नौशाद छापरवी, अरशद नूरी कुशीनगर मौलाना मेराज आदि ने अपने कलामों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया इसके साथ दर्जनों से ज्यादा ओलमाओ ने हुजूर सूफी अब्दुल अजीज की जिंदगी की रौशनी पर प्रकाश डाला फिर मौलाना अकील मिस्बाही मुफ़्ती शमसाद, मौलाना अब्दुल मुश्तफ़ा रुदौली प्राचार्य मौलाना बेदम सिवानी ने पचीस बच्चो के सर पर दस्तारबंदी किये व उनके पास सर्टिफिकेट दिया गया जिन बच्चो की दस्तारबंदी हुवा आलिम पास 12 बच्चो की दस्तार मो अनवर अली धौंशा नेपाल,राशीद जहीर सिवान, मो सहाबुद्दीन सरलाही नेपाल, मनुवर हुसैन गोपालगंज, मो खुशबुद्दीन गोपालगंज, मो साजिद पूर्वी चंपारण बिहार, बलाल अहमद दिनाजपुर पश्चिम बंगाल,मो शाहिद मधुबनी, अब्दुल जब्बार गोपालगंज,मो हुसैन सराहा नेपाल, मो महबूब आलम सीतामढ़ी बिहार, मो इंतखाब आलम दिनाजपुर पश्चिम बंगाल, हिफ़्ज़ की दस्तार 7 बच्चो की गई अयूब अख्तर चंपारण, मो कलीम रजा छपरा, मो सदरे आलम मधेपुरा, दिलशाद अहमद सिवान, मो उमर फारूक वैशाली, मो अब्दुल्लाह सीतामढ़ी, मो सुलेमान सीतामढ़ी, वही कारी पास 6 बच्चो को उनके सर पर दस्तारबंदी की गई उमर फारूक वैशाली, आशिफ अली सिवान, दिलशाद अहमद सिवान, इसराफिल चंपारण, मो सुलेमान सीतामढ़ी,मो हशमुद्दीन सिवान, सहित 25 बच्चो के सरो पर दस्तारबंदी हुवी इस खास मौके पर लोगो के अंदर इस मदरसा की उन्नति को देखकर आँखों से खुशी के आँशु आ रहे थे और सभी कह रहे थे चलो हजरत सूफी की गैरमौजूदगी में उनका सारा कार्य उनके पुत्र अल्लामा अकील मिस्बाही निभा रहे है।

bargariya news today