- तरावीह की नमाज़ को विश्वास और हिसाब के साथ जो पढ़ता है तो उसे अल्लाह ताला एक बड़ा इनाम देगा
- माहे रमजान आस्था में अति-उत्साही कृत्यों में से एक है
✍️परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ:
जिले के पचरुखी प्रखंड के मखुनुपुर स्थित मखदुमपुर में माहे रमजानुल मुबारक के मौके पर गांव स्थित जामा मस्जिद के परिसर में 15 दिवसीय खत्म तरावीह संपन्न हुआ।इस मौके पर मस्जिद के खतिबो इमाम हाफिज गुलाम अहमद रज़ा ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि इस महीने में कुरान शरीफ नाजिल हुआ।इस महीनों को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है।हदीस में आया है कि अन्य दिनों के मुकाबले एक माह में एक नेकी के बदले 70 गुना अधिक सवाब (पुण्य) मिलता है।रमज़ान के महीने में लोग अपने एक माह तक रोजे रखते हुए अपने रब को राजी करने के लिए नमाज और तिलावत ए क़ुरान के साथ रमजान की विशेष रात्रि में नमाजे तरावीह पढ़ते है।तरावीह की नमाज इसके कई लाभ और गुण हैं।
रमजान के महीने के रात में यह नमाज़ अदा करना इबादत के सबसे अच्छे कामों में से एक है।जो मुसलमानों को अपनी नमाज़ पूरी करने और अल्लाह ताला के करीब आने का अवसर देता है।इस पर विचार किया गया है तरावीह की नमाज़ का फ़ायदा यह मुसलमानों को अल्लाह ताला को बेहतर ढंग से याद करने और उनकी आत्मा में आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।तरावीह की नमाज पवित्र कुरान की आयतों पर चिंतन करने और उनके अर्थों पर विचार करने का अवसर है,जो मुसलमानों की धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति को बढ़ाता है।तरावीह की नमाज अल्लाह ताला से महान प्रतिफल प्राप्त करने का एक अवसर है।क्योंकि यह आस्था में अति-उत्साही कृत्यों में से एक है।जो अच्छे कर्मों को बढ़ाता है।और अल्लाह के करीब लाता है।
और पैगंबर की कई प्रामाणिक हदीसों में उल्लेख किया गया है कि जो कोई भी तरावीह की नमाज़ को विश्वास और हिसाब के साथ पढ़ता है तो उसे अल्लाह ताला के साथ एक बड़ा इनाम मिलेगा।यहां बतादें कि मस्जिद परिसर में 15 दिवसीय खत्म तरावीह संपन्न होने के बाद ग्रामीणों ने खतिबो इमाम हाफिज गुलाम अहमद रज़ा को फूल माला पहनाकर भव्य स्वागत किया।इस मौके पर मस्जिद के सदर,मो.अलियास अहमद, आफताब आलम उर्फ छोटे,अब्दुल कलाम,मो. शहजाद,डॉ.अली अहमद,मो.नसरुद्दीन,हाजी मो.नईम,मोहम्मद हामिद,मो. कोहिनूर,मौलाना शमशेर,मो.ईस मोहम्मद, समेत मस्जिद कमेटी के सभी सदस्य एवं गांव के प्रबुद्ध लोग उपस्थित हुए।