परवेज़ अख्तर/सिवान : नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग नियमित शिक्षकों की भांति सेवाशर्त की रही है। बिहार सरकार के द्वारा 2015 में आश्वासन भी दिया गया था कि तीन महीने में इन शिक्षकों के नये सेवाशर्त तैयार कर ली जाएगी।उसके लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी।पर पांच वषों के बाद अब 2020 में सरकार के द्वारा बिहार के नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवाशर्त-2020 अधिसूचित की गई है।इस नये सेवाशर्त के आने से शिक्षकों के बीच काफी आक्रोश है।
परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला संयोजक अनिल कुमार यादव ने बताया कि सरकार ने इस चुनावी साल में भी शिक्षकों को ठगने और छलने का कार्य नहीं छोड़ा।जिस अपेक्षा के साथ इस सेवाशर्त का इंतजार हम पांच वर्षों से कर रहे थे,उसका एक तिहाई हिस्सा भी सरकार ने नहीं दिया है। हमनें सरकार से एक मांग की थी कि हमें पूर्ण राज्यकर्मी का दर्जा दीजिए और नियमित शिक्षकों की तरह हमें भी जिला संवर्ग के शिक्षक बना दीजिए।
इससे सरकार पर किसी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।लेकिन सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रही है।हम नये सेवाशर्त से काफी निराश और हताश हैं।हमने इसका विरोध भी किया है और इसमें आवश्यक सुधार तथा संसोधन को लेकर राज्य के सभी विधायकगणों से मिलकर ज्ञापन भी दे रहे हैं। इसी क्रम में महाराजगंज के विधायक हेमनारायण साह से मिले तथा शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराने के बाद सेवाशर्त में सुधार के लिए ज्ञापन सौंपा।
मौके पर उपस्थित शिक्षक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि अगर हमारी मांगों पर सरकार ध्यान नहीं देती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में शिक्षकों का विरोध झेलने के लिए सरकार को तैयार रहना होगा।विधायक से मिलने वालों मे सचिव अनिल कुमार राम,अजित सिंह तथा साहेब राय आदि शिक्षक पहुंचे थे।