पटना: बिहार सरकार के फ्लैगशिप योजना ‘हर घर नल का जल’ योजना में कटिहार में बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के परिवार को मिले 53 करोड़ रुपये का ठेका का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस ठेके पर बिहार के विधानसभा नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम के बहू और उसके संबंधियों को मिले इस ठके की पूरी लिस्ट हमार कटिहार के नेता के पास है. सथा ही उन्होंने कहा कि इस पूरी योजन में ही घोटाल हुआ है।
तेजस्वी यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बिहार के सीएम किसी और के हाथ के कठपुतली हैं। वहीं उन्होंने बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि यहां तो एक पुलिस सिपाही 9 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति हासिल कर लते हैं, तो बड़े-बड़े अधिकारी लोग का क्या होल होता होगा. वहीं उन्होंने सृजन घोटाला, बालिक गृह कांड सहित कई भ्रष्टाचार के मामले पर सरकार को घेरा। उन्होंने नीतीश सरकार के सात निश्चय योजना पर भी सवाल खड़े करते हुए भ्रष्टाचार की बात कही।
बता दें कि सीएम नीतीश कुमार की फ्लैगशिप योजना ‘हर घर नल का जल’ में दिये गये ठेके को लेकर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर छापी है. इस खबर में बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के संबंधियों सहित जदयू के कई नेता को भी ठेका मिला है. वैस सरकार का दावा है कि 95 फीसदी पंचायतों को कवर कर लिया गया है।
अंग्रेजी अखबार की पडताल के मुताबिक साल 2019-20 में बिहार सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग यानि PHED ने कटिहार जिले में नल-जल योजना के 36 प्रोजेक्ट को मौजूदा डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के नाते-रिश्तेदारों को सौंप दिये. नल-जल योजना के तहत कटिहार में जिन ठेकेदारों को काम मिला उनमें तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी, तारकिशोर प्रसाद के साले प्रदीप कुमार भगत और डिप्टी सीएम के करीबी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार शामिल हैं।
बिहार सरकार के PHED विभाग ने नल जल योजना के ठेके बांटने में दिलचस्प खेल खेला. कटिहार जिले में भवडा पंचायत है. इसमें 13 वार्ड हैं. सारे वार्ड का काम तारकिशोर प्रसाद के परिजनों को सौंप दिया गया. कुछ वार्डों का काम तारकिशोर प्रसाद की बहू पूजा कुमारी को सौंपा गया तो बाकी का काम उनके साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी कंपनियों को. गांव में मौजूद लोग बताते हैं कि पूजा कुमारी कभी साइट पर नहीं आय़ीं. उन्हें जो ठेका मिला था उसका काम भी प्रदीप कुमार भगत ने ही करवाया।