पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के 5वें दिन नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण को समाप्त करते हुए एक राजा की कहानी सुनाई। साथ ही उन्होंने कहा कि इस कहानी में राजा के राज्य की स्थिति बिल्कुल मौजूदा बिहार जैसी है। राजा का जिक्र कर उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसा।
एक राजा था। वह पहले दूसरे राज्य का सेनापति था, लेकिन छल-कपट कर वह किसी तरह राजा बन गया। धीरे-धीरे वह बूढ़ा हो गया, लेकिन उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। अब राज्य पाट उससे नहीं संभल रहा था। उसने सोचा कि क्यों न मैं अपने सलाहकारों और सहयोगियों से बात करूं। उन्हें इस समस्या के बारे में सबको बताया। इसकी जानकारी सेनापति को भी हुई। वह सीधा राजा के पास पहुंचा और उन्हें धमकी दी कि वह उसे ही अगला राजा बनाएं। अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो वह राजा के कुकर्मों की जानकारी सभी को दे देगा। राजा काफी चिंतित हो गया। बहुत सोचने के बाद वह एक कमंडल धारी बाबा के पास गया। उस बाबा को उसने अपनी समस्या सुनाई।
राजा की समस्या को सुनने के बाद कमंडलधारी बाबा ने कहा कि आप पूरा राज्य चलाइए। मैं सिर्फ चेहरा बना रहूंगा। राजा के इस प्रस्ताव को कमंडलधारी बाबा ने मान लिया। इसके बाद राजा मुखौटा बना रहा। पूरा राजपाट वही कमंडलधारी बाबा चलाने लगा।
कमंडलधारी बाबा धीरे-धीरे राजस्व को फिजूलखर्ची में उड़ाने लगा। राजा सिर्फ सोया रहता और अंत का इंतजार करने लगा। धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और भंडारा लगने लगा। धीरे-धीरे राज्य का पूरा खजाना खाली हो गया। अब कमंडलधारी बाबा क्या करें तो उसने राज्य की संपत्ति बेचनी शुरू कर दी, लेकिन भंडारा जारी रखा।
स्थिति ऐसी हो गई कि पूरे राज्य की जनता परेशान हो गई। किसान भूख से मरने लगे। महिलाओं से अपराध बढ़ गया। शिक्षा की स्थिति बदहाल हो गई। जनता इतनी आक्रोशित हो गई कि वह सीधा राजमहल में घुस गई। वह राजा को हटाने पर उतारू हो गई।
इसकी जानकारी राजा को हुई। राजा कमंडलधारी बाबा के पास गया। राजा ने कमंडलधारी बाबा से कहा कि अब उसने बौद्ध भिक्षु बनने का निर्णय लिया है। साथ ही वह हिमालय पर जा रहा है। राजा ने उससे भी कहा कि तुम भी हिमालय पर चले जाओ। राज्य के बारे में अब वह सोचे जो अगला राजा बनेगा।