न्यायालय की अनुमति चाहिये पीएमसीएच पटना अस्पताल को
सीवान के सदर अस्पताल में इलाज के अभाव में तीन मरीजों की अब तक गई जान
दर-दर भटक रहे है मरीज
परवेज़ अख्तर/सीवान:- सीवान के पुलिस लाइन के एक बंद कमरे से शनिवार को बरामद की गई शव का अभी तक पोस्मार्टम नही हो सका है। जिसके चलते बरामद महिला पुलिस का शव 50 घण्टे बीत जाने के बाद भी उसका शव पटना के पीएमसीएच के परिसर में शव वाहन में पड़ा हुआ है। बतादें की शनिवार की दोपहर मुफ्फसिल थाना पुलिस ने पुलिस लाइन के एक सरकारी क्वाटर से स्नेहा कुमारी नामक महिला पुलिसकर्मी का सड़ा हुआ लाश को बरामद किया था। पुलिस ने प्रथम दृष्टया के अपने जाँच में कहा था की मृत स्नेहा कुमारी आत्महत्या की है। पुलिस ने उसके क्वाटर से एक सोसाइट नोट भी बरामद किया था। पुलिस का कहना था की बरामद सोसाइट नोट में लिखा था की मैं काफी तनाव में आकर अपनी जीवन की इहलीला समाप्त कर रही हूँ। बतादें की मुफ्फसिल थाना पुलिस द्वारा मृत महिला पुलिस स्नेहा कुमारी का शव जैसे ही शनिवार की रात 7:30 बजे पहुँचा तो शव की बदबू से पूरा अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी। कई रोगी भी अपनी-अपनी छुट्टी लेकर भागने लगे। बाद में रात 9:30 में शव की पोस्मार्टम के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया। लेकिन टीम द्वारा यह निर्णय लिया गया की अगर सीवान में स्नेहा का पोस्मार्टम होता है तो सही ढंग से मौत के कारणों का पता नही चल सकेगा। बाद में चिकित्सकों की टीम ने कागजी कारवाई करते हुये बरामद शव की पोस्मार्टम के लिये पटना के पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। चिकित्सकों की टीम ने यह निर्णय लिया की पटना पीएमसीएच बड़ा सेंटर है जहाँ पर सारी सुबिधा उपलब्ध है। जहाँ तुरन्त मौत के कारणों व गोपनीय तथ्यों का भी उजागर हो जायेगा। उधर जैसे ही रात 10 बजे मुफ्फसिल थाना पुलिस को पता चला की स्नेहा कुमारी के शव का पोस्मार्टम सीवान नही होगा तथा उसके शव को चिकित्सकों ने पटना रेफर कर दिया है। तो भारी संख्या में पुलिस के जवान मुफ्फसिल थाना प्रभारी के नेतृत्व में सदर अस्पताल पहुँचे। पुलिस के पहुँचते ही सदर अस्पताल में खलबली सी मच गई। और बाद में पुलिस के जवानों ने सिविल सर्जन के मोबाइल फोन पर कॉल करके जबरन पोस्मार्टम के लिये दबाव बनाने लगे। तथा इंकार करने व शव को रेफर किये जाने की बात जैसे ही सिविल सर्जन द्वारा बोली गई तो पुलिस के जवानों ने भद्दी-भद्दी गाली गलौज शुरू कर दिए। उसके बाद पुलिस के जवानों ने सदर अस्पताल में मुफ्फसिल थाना प्रभारी के नेतृत्व में लगभग 2 घण्टे तक हंगामा करते रहे। जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी का माहौल कायम रहा। इसी दरम्यान रात के करीब 1:30 में आपातकालीन सेवा में लगे सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर आलोक कुमार के पास लगभग आधा दर्जन की संख्या में डी.ए.पी.के पुलिस जवान जा धमके और पोस्मार्टम के लिये दबाव बनाने लगे। जैसे ही डॉक्टर आलोक कुमार द्वारा इंकार किया गया तो उनकी बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी गई। साथ ही पुलिस के एक जवान ने उनपर AK 47 भी तान दी। जिससे वे और भयभीत हो गए। पुलिस जवानों की पिटाई से डॉक्टर आलोक लहू-लुहान भी हो गए थे।लेकिन सदर अस्पताल में तैनात प्राइवेट गार्ड के बिच-बचाव से मामला शांत हुआ। तब तक मौके का लाभ उठाकर घायल चिकित्सक डॉक्टर आलोक फरार हो गए। और इसकी सुचना जैसे ही सदर अस्पताल में ही तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अहमद अली को लगी तो वे अँधेरी रात में ही सदर अस्पताल पहुँचे। और उन्होंने घायल चिकित्सक आलोक कुमार को अपने साथ अपने प्राइवेट क्लीनिक में ले गए। और उपचार शुरू किये। इस सन्दर्भ में चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अहमद अली ने कहा की मृत महिला पुलिसकर्मी स्नेहा कुमारी का शव का पोस्मार्टम अभी तक नही हो सका है। शव वही पड़ा हुआ है।
क्यों नही हुई अब तक पोस्मार्टम स्नेहा कुमारी का ?
सदर अस्पताल में तैनात चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर अहमद अली ने कहा की यहां से मेडिकल टीम द्वारा स्नेहा कुमारी का शव पोस्मार्ट के लिये पटना रेफर कर दिया गया है। सदर से रेफर का प्रावधान है। लेकिन जब दूसरे जिले का शव पटना पोस्मार्टम के लिये जाता है तो पुलिस को स्थानीय न्यायालय से अनुमति लेनी पड़ती है।जो अनुमति पुलिस द्वारा नही ली गई थी। अनुमति की कागज़ की माँग पीएमसीएच पटना के द्वारा की गई तो वहॉ पर पुलिसकर्मियों द्वारा कागजात की प्रस्तुत नही की गई। जिसके चलते पोस्मार्टम नही हुआ। डॉक्टर अहमद अली ने कहा की न्यायालय के आदेश के अनुमति के बगैर दूसरे जिले का शव पटना में करना गैरकानूनी है। अगर स्नेहा कुमारी की मौत पटना में होती तो उसका पोस्मार्टम वही होना सम्भव था लेकिन उसकी मौत सीवान में ही हुई है।
सदर अस्पताल के चिकित्सक दूसरे दिन भी है हड़ताल पर
पुलिस द्वारा सदर अस्पताल के चिकित्सक आलोक कुमार की पिटाई के बाद सदर अस्पताल के सभी चिकित्सक हड़ताल पर चले गए है। जिससे मरीजों को काफी कठिनाई हो रही है। सबसे ज्यादा कठिनाई आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को हो रही है। वे इलाज के लिए दर-दर भटक रहे है। हड़ताल के चलते सीवान में कई गरीब तबके के लोगो की जान भी चली गई है। बतादें की सदर अस्पताल में इलाज के अभाव में गोरियाकोठी थाना के सैदपुरा गांव निवासी मोतीचंद्र मुसहर के नवजात पुत्र की मौत हो गई इसके अलावा जीरादेई के पथारदेई गांव के रामछतर राम की भी जान चली गई। इसके अलावा एक अन्य गरीब तबके के मरीज की भी जान चली गई।बतादें की गरीब तबके के लोग इलाज के अभाव में मर रहे है। और आमिर तबके के लोग प्राइवेट क्लीनिक का सहारा ले रहे है। सबसे ज्यादा कठिनाई सांप के काटने वालों मरीजों को हो रही है।