किसानों की समृद्धि ही सबसे बड़ा सम्मान- शिलाजीत सिंह

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पंचायत स्तर पर तैनात कृषि समन्वयक दिखाएं ईमानदारी- प्रद्युम्न राय

परवेज अख्तर/सिवान:
जिला परिषद सभागार में आयोजित किसान सम्मान निधि हस्तांतरण योजना सह किसान सम्मान कार्यक्रम में पहुंचे सैकड़ों किसानों में से दर्जन भर ख्याति प्राप्त किसानों ने अपनी कृषि उपलब्धि और आय वृद्धि के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी योजना अगर ईमानदारी से जमीन पर उतार दी जाए तो किसानों की आय अपने आप दोगुनी हो जाएगी. सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए अगर किसान को जिला और प्रखंड कार्यालय दौड़ना पड़ेगा तो वह योजना कभी सफल नहीं हो सकती.

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इन बातों का समर्थन करते हुए आत्मा के निदेशक शीलजीत सिंह ने कहा कि सरकारी योजना को किसानों के घर पर, खेतों में पहुंचाना जरूरी है. हमारा काम किसानों को जागरूक करना, प्रशिक्षित करना और नए-नए उत्पादक कृषि कार्यों की ओर प्रवृत्त करने का है. इस काम में हम कितने सफल हुए हैं इसका प्रमाण किसान ही हैं. जिले भर के लगभग सभी पंचायतों में हमने कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है. बीच में कोरोना काल के चलते काम ठप रहा लेकिन फोन बंद नहीं था जो किसान फोन पर भी सलाह मांगते थे उन्हें उपलब्ध कराया जाता रहा है.

आत्मा निदेशक ने किसानों से एक बार फिर कहा कि यहां आए हुए सभी सम्मानित किसान हैं जो किसी न किसी फसल क्षेत्र में अच्छा उत्पादन करके एक नजीर पेश की है. इस नजीर को हमारे अन्य किसान भाइयों को सीखना है, समझना और उस पर अमल भी करना है. हमारी कोशिश है कि खेती का स्वरूप वैज्ञानिक तरीके से हो. उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि आपको सिंचाई के लिए जितना पानी चाहिए उससे ज्यादा जरूरी है खेतों को गाय-भैंस का गोबर. अगर खेतों में पशुओं का गोबर पर्याप्त मात्रा में रहेगा तो कम पानी मिलने पर भी वह पानी ज्यादा दिनों तक खेतों में संचित रहेगा और लंबे समय तक आपकी फसल को फायदा पहुंचाता रहेगा.

बारिश के दिनों में पानी के बहाव को धीमा करना जरूरी होता है अगर आपके खेतों से पानी का बहाव तेज है तो आपके खेतों का खनिज लवण बहकर नाले और चंवर में जमा हो जाता है. इसका ध्यान रखना हर किसान का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि खेती में एकरूपता नहीं रखें. बहुफसली कृषि करें. फसल चक्र परिवर्तन पर ध्यान दें. यह सही है कि आप एक खेत में अरहर की बुआई करते हैं तो दूसरे में मसूर और मूंग या उड़द की फसल को भी जगह दें इससे खेती की प्राकृतिक ताकत बनी रहेगी और आपके उर्वरक प्रयोग की मात्रा घट जाएगी. खेती के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन, मछलीपालन को अपनाएं. साल में सात महीने खाली नहीं रहेंगे और यही आपकी आमदनी को चार गुना करने का साधन बनेगा.

जिला पार्षद प्रद्युम्न राय ने अपने संबोधन में कहा कि शिलाजीत सिंह का जैसे नाम है वैसे ही काम है. हर किसान को शिलाजीत सिंह के अनुभवों का फायदा उठाना चाहिए. इनके अनुभव खेतों में बिताकर निखरे हैं इसलिए इनकी हर सलाह सर्वग्रहणीय है. श्री राय ने पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे सलाहकारों के बारे में कहा कि वे कभी दिखाई नहीं देते. मैं भी अपने पंचायत के सलाहकार को नहीं जानता-पहचानता. शिलाजीत सिंह जैसे अधिकारी हर गांव नहीं जा सकते इसके लिए सलाहकार लगाए गए हैं लेकिन वे ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं. उन्हें किसानों के पास उनके खेतों में जाकर सलाह देनी होगी तब जाकर सरकार की कृषि नीतियों का फायदा किसान सही ढंग से उठा सकेंगे.

जदयू के जिलाध्यक्ष इंद्रदेव पटेल ने कहा कि सरकारी योजना को जमीन पर उतारने के लिए कृषि विभाग के पदाधिकारी-कर्मी कार्य करते हैं. किसानों के पास जाकर काम करना और प्रशिक्षण देना ज्यादा कारगर साबित होता है. आत्मा के निदेशक शीलाजीत सिंह इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं. इसके अलावा अन्य वक्ताओं ने भी किसानों की आय बढ़ाने के सरकारी प्रयासों की सराहना की. इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष संगीता देवी, उपाध्यक्ष ब्रजेश कुमार सिंह, प्रद्युम्न् राय, आत्मा के निदेशक शिलाजीत सिंह, जदूय जिलाध्यक्ष इंद्रदेव पटेल, उद्यान निदेशक अभिजीत कुमार के अलावा कई जिला पार्षद, कृषि विभाग के पदाधिकारी-कर्मी एवं जिले भर से आए किसान उपस्थित थे.