परिजनों पर टूटा दुःखों का पहाड़
परवेज़ अख्तर/सीवान :- किसी की खुशियों को कैसे नजर लग जाती है। यह बुधवार को मृतक श्याम बाबू उर्फ जावेद के घर देखने को मिला। थोड़ी देर पहले जिस आंगन में रमजान पर्व को लेकर हंसी-खुशी का माहौल और उत्साह था, घटना के बाद कोहराम मचा हुआ था। पत्नी पति की व बच्चे पिता की मौत से दहाड़ मारकर रो रहे थे। इकलाैते पुत्र को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके ऊपर यह कैसा आफत आया हुआ है। दरवाजे पर उपस्थित भीड़ मायूस होकर एक-दूसरे का मुंह देख रही थी। किसी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि कौन किसे समझाए तथा किसके दम पर ढाढ़स बंधाए।
घर पर उमड़ा हुजूम
जैसे हीं जावेद का शव पोस्टमार्टम कराने के बाद घर पहुंचा। लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। मौजूद लोगों की आंखें नम हो रहीं थीं। परिजन चीत्कार मार रहे थे।
घर के सामने अपराधियों ने कर दी हत्या
अपराधियों का मनोबल किस कदर बढ़ा हुआ है इसका उदाहरण जावेद हत्याकांड है। रामराज्य मोड़ पर अक्सर एक हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ बनी रहती है। इस भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र में अपराधियों द्वारा दिनदहाड़े किसी घटना को अंजाम देना आसान नहीं है। लेकिन अपराधियों को यह अच्छी तरह से जानकारी थी कि अपराध को अंजाम देने के बाद किस तरफ से और कैसे भागना है। इसलिए घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी आसानी से ओवर ब्रिज के रास्ते भाग निकले और लोग मुकदर्शक बनकर देखते रहे।