परवेज अख्तर/सिवान : रमजान का महीना इबादतों का मौसम-ए-बहार है। यह बरकत का महीना है। इस महीना में कुरान शरीफ नाजिल हुआ। यह महीना रहमत का है। इस महीना में नेकियों का सवाब बढ़ा दिया जाता है। रमजान का महीना इबादत में दिन रात गुजारने का महीना है। इस महीने में ज्यादा से ज्यादा कुरान शरीफ की तिलावत करनी चाहिए। गरीबों की मदद ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। कुरान पढ़ने के साथ-साथ उसे समझना भी चाहिए। रोजा की फजीलत बयान करते हुए मौलाना चमन कादरी ने कहा कि हदीस शरीफ में है कि अल्लाह तआला खुद फरमाता है कि रोजा मेरे लिए है और उसका बदला रोजेदार को मैं खुद अपने हाथ से दूंगा। रोजा रोजेदार को परहेजगार बनाता है। खौफ-ए-खुदा के साथ शरीयत के मुताबिक जिंदगी गुजारने की सीख देता है। रमजान में तरावीह की नमाज एक बड़ी इबादत है। इसके अलावा एतकाफ रमजान के महीने की एक विशेष इबादत है। मस्जिद में अल्लाह की इबादत यानी जिक्र ए इलाही की नीयत से ठहरने को एतकाफ कहते हैं। एतकाफ तीन तरह की होती है- वाजिब, सुन्नत मोकदा और मुस्तहब। एतकाफ वाजिब अदा करने के लिए रमजान को अंतिम अशरा में किया जाता है।
रमजान का महीना इबादतों का मौसम-ए-बहार
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