परवेज अख्तर/सीवान : अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के पूर्व सदस्य सह फिल्म सेंसर बोर्ड के परामर्श दात्री समिति भारत सरकार के पूर्व सदस्य ललन कुमार ने कहा कि मोदी सरकार की गैर-गंभीरता, गैर-जिम्मेवारी के कारण, देशवासियों को कोविड-19 की इस प्राकृतिक आपदा को भुगतने के लिए मजबूर किया गया है। अब इस चुनौती का सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लॉकडाउन लागू करने में भी स्थिति को यत्नपूर्वक नहीं संभाला जा रहा है। सरकार ने मानव जीवन के ऊपर राजनीति को प्राथमिकता दी थी। प्रकृति ने हमें इस घातक वायरस से बचाने के लिए खुद को तैयार करने के लिए पर्याप्त समय दिया था, जो पहले से ही दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका था, लेकिन उस बहुमूल्य समय को बिना किसी कार्रवाई मेादी सरकार ने खो दिया था। क्यों नहीं विदेश से उतरने वाले सभी लोगों की जांच की गई और उन्हें 14 दिन के लिए सरकार के नियंत्रण के तहत क्वारंटाइन में डाला गया। बीमारी को लेकर आए सभी सम्पन लोग और मुश्किलें पैदा कर दी गई आम आदमी, विद्यार्थियों और मजदूरों के लिए यह कहां का न्याय है।
मोदी सरकार अपनी भूल को स्वीकार करने के बजाय, देश के लोगों को बताएगी कि अन्य देशों की तुलना में यहां संक्रमित लोगों और मौतों की संख्या बहुत कम है। क्योंकि मोदी सरकार ने सही समय पर कदम नहीं उठाए हैं। वास्तविक कारण हैं, सरकार ने करोना के टेस्ट ही ऊंठ के मुंह में जीरे के बराबर किए, और इसलिए कोई पुष्टि नहीं कि जा सकती है कि कौन पीडि़त है और कौन नहीं है, और दूसरा यह है कि हमारे लोग विशेष रूप से हमारे मजदूर भाई और आम लोग जो कड़ी मेहनत करते हैं, उनमें अधिक इम्यूनिटी होती है। मैंने कई रिसर्चर्स से सुना कि अच्छी इम्यूनिटी वाले लोग इस वायरस से बच सकते हैं। इसलिए मैं आप सभी से प्रार्थना करता हूं कि झूठे और औचित्य तर्कों के चक्कर में मेरे प्यारे भारतवासी ना आए और इस एनडीए सरकार से सावधान रहें तथा इनसे सवाल करें की देशवासियों को इस बीमारी में क्यों फंसाया।