- जिले के कुचायकोट व उचकागांव प्रखंड का किया दौरा
- 16 से 29 सितंबर तक चल रहा है डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा व राष्ट्रीय कृमिमुक्ति कार्यक्रम
- सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बनाया गया जिंक कॉर्नर
गोपालगंज: जिले में 16 से 29 सितंबर तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा व राष्ट्रीय कृमिमुक्ति कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है। इसी कड़ी में गुरूवार को राज्य स्वास्थ्य समिति के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य डॉ. राजेश कुमार ने कार्यक्रम का अनुश्रवण किया। जिले के उचकागांव व कुचायकोट प्रखंड का दौरा कर दोनों कार्यक्रमों के प्रगति के बारे में जानकारी ली तथा पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। उन्होने स्वास्थ्य केंद्रों पर बने जिंक कॉर्नर का निरीक्षण किया तथा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में पूछताछ की। इसके साथ क्षेत्र आशा कार्यकर्ता से भी जानकारी ली। सभी पदाधिकारियों व कर्मियों को लक्ष्य के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शक्ति कुमार सिंह, मानसिक स्वास्थ्य के जिला डीएमएंडई जयंत कुमार चौहान, डीसीएम निकहत परवीन समेत अन्य शामिल थे।
स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस-जिंक कॉर्नर की स्थापना
डीसीएम निकहत परवीन ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों में ओआरएस-जिंक कॉर्नर के लिए अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सीएचसी में दो तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उप केंद्र में एक स्थल का चयन कर ओआरएस जिंक कॉर्नर का निर्माण किया गया है। यहां पर जिंक टेबलेट की समूची मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित की ज रही है। बैनर-पोस्टर और माइकिंग के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
1 से 19 साल तक बच्चों को दी जा रही एल्बेंडाजोल की दवा
डीआईओ डॉ शक्ति कुमार कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत 1 साल से 19 साल तक के बच्चों को एलबेंडाजोल की दवा दी जा रही है। ऐसे बच्चें जिन्हे सांस लेने में समस्या एवं सर्दी-खांसी या कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये हो उन्हें एल्बेंडाजोल की दवा नहीं दी जायेगी। इसके साथ ही पहले व अंतिम तिमाही वाली गर्भवती महिला को भी यह दवा नहीं दी जायेगी। सिर्फ दूसरे तिमाही वाली गर्भवती महिला को एल्बेंडाजोल की दवा दी ज रही है। साथ ही उन्होंने बताया एल्बेंडाजोल की दवा का हल्का साइड इफैक्ट पड़ता है। जैसे दवा सेवन करने बाद जी मिचलना, पेट दर्द या उल्टी हो सकता है।
डायरिया से बचाव के लिए परिवार के सदस्यों की की जा रही काउंसलिंग
डीसीएम निकहत परवीन ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जा रही है। इसके साथ हीं परिवार इन बिन्दुओं पर परामर्श दी जा रही है।
इन बिंदुओं पर दिया जा रहा है परामर्श
- जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यक रूप से काराया जाये
- दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये
- जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
- दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भोजन जारी रखा जाये
- उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
- पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें
- खाना बनाने एवं खाना खाने से पूर्व और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
- डायरिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
- बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये
- दस्त का फैलने से रोकने के लिए शौचालय का प्रयोग करना चाहिए