परवेज अख्तर/सिवान:
शिक्षामंत्री अशोक चौधरी द्वारा बेगूसराय में बिहार के शिक्षकों को अपमानित करने वाले बयान से बिहार के शिक्षक समाज मे आक्रोश व्याप्त है। एसटीईटी- टीईटी शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रजनीश कुमार मिश्रा ने कहा कि चाणक्य व आर्यभट्ट की धरती बिहार को अपमानित करने वाले अशोक चौधरी माफी मांगे नही तो बिहार में जगह-जगह पर उनका विरोध किया जाएगा। चोर दरवाजे से शिक्षा मंत्री बनने वाले आज बिहार की प्रतिभा व शिक्षकों पर सवालिया निशान दाग रहे है। सार्वजनिक मंच से झूठ चिघाड़ने व शिक्षकों को अपमानित करने से ना तो शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी और ना ही नियमित शिक्षकों के रिटायरमेंट के पश्चात नियमित पदों के गल घोंटने से शिक्षा जगत का कायापलट संभव है।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट में अतार्किक, बेबुनियाद व गलत आंकड़े पेश कर शिक्षकों के अधिकार को हड़पने वाली सरकार से सम्मान पाने की उम्मीद ना रे बाबा ना। वहीं परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के जिला महासचिव रामप्रीत विद्यार्थी ने कहा कि शिक्षामंत्री सरकारी स्कूलों के रसातल में जाने की बात कर रहे है। लेकिन यह नहीं बोलते कि नियोजन प्रथा की शुरुआत किसने की ? सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ की नीति को किसने जन्मा ? नियमित शिक्षकों को डाईंग कैडर घोषित कर एजुकेशन सिस्टम का गला घोंटने वाला दागदार कौन हैं? पाठशाला को मेस व एचएम को वेटर बनाने वाला शातिर कौन हैं ? शिक्षक को पढ़ाने के बजाए कलर्क किसने बनाया? शिक्षकों को गधा समझ उनके कंधों पर 32 तरह के गैर- शैक्षणिक कार्यों का बोझ कितने लादा? कभी इस पर भी सार्वजनिक मंच से बात करें तो होश ठिकाने आ जाएंगे। शिक्षकों पर दोषारोपण से पहले मंत्री जी आप एकबार अपने गिरेबान व सिस्टम को टटोलिए समझ में आ जाएगा।