परवेज़ अख्तर/सिवान :- संतान की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला जीवित्पुत्रिका या जिउतिया पर्व शुक्रवार को है। माताएं आज निर्जला व्रत रखेंगी। आश्विन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक जिउतिया पर्व मनाया जाता है। इस तीन दिवसीय व्रत में पहले दिन यानी बुधवार को नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत हुई। गुरुवार को माताएं खर जितिया यानी निर्जला व्रत रखेंगी। वहीं तीसरे दिन शुक्रवार को सुबह पारण के साथ यह पर्व संपन्न होगा। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत को जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन माताएं विशेषकर पुत्रों के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस पर्व में जितिया गूंथवाने के साथ मडुआ का आटा, नोनी का साग, सतपुतिया, झींगी, कंदा, मकई, खीरा आदि का काफी महत्व होता है। महिलाएं जिउतिया का धागा गूंथवा कर पहनती हैं।
व्रत का समय उदया तिथि से होगा मान्य : आचार्य ने बताया कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारभ बुधवार को दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर हो गया था, जो गुरुवार को दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। व्रत का समय उदया तिथि से मान्य होगा। जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली माताएं शुक्रवार को सुबह सुर्याेदय के बाद से दोपहर 12 बजे तक पारण करेंगी। इस व्रत में माताएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। जिउतिया व्रत में माताएं पूरे दिन निर्जला उपवास रहती हैं। राजा जीमुतवाहन और कही-कहीं महिलाए चिल्हो और शियारो की कथा भी सुनती हैं। राजा जीमुतवाहन की पूजा पूस की प्रतिमा बनाकर की जाती है। जिउतिया व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में बिना पानी पिये कठिन नियमों का पालन करते हुए व्रत पूर्ण किया जाता है।