परवेज़ अख्तर/सिवान:
नवरात्र उपासना में तीसरे दिन की पूजा का बहुत महत्व है। तीसरे दिन श्रद्धालु आदि शक्ति देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करेंगे। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि असुरों के विनाश हेतु मां दुर्गा से देवी चन्द्रघण्टा तृतीय रूप में प्रकट हुई। देवी चंद्रघंटा ने भयंकर दैत्य सेनाओं का संहार करके देवताओं को उनका भाग दिलवाया। देवी चंद्रघंटा मां दुर्गा का ही शक्ति रूप है। जो सम्पूर्ण जगत की पीड़ा का नाश करती हैं। देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को वांछित फल प्राप्त होता है। इसलिए ही नवरात्र के तीसरे दिन की पूजा को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। मां चन्द्रघंटा की पूजा करने वालों को शान्ति और सुख का अनुभव होने लगता है। मां चन्द्रघंटा की कृपा से हर तरह के पाप और सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही हो जाता है।
ऐसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप
चंद्रघंटा देवी के शरीर का रंग सोने जैसा चमकीला है। देवी के दस हाथ हैं। मंद-मंद मुस्कराते हुए देवी अपने दसों हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र,धनुष, भरे हुए तरकश लिए हैं, जो साधकों को मुग्ध करते हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी पूजा करने से साधक निर्भय हो जाता है। साथ ही सौम्य और विनम्र बनता है। साधक के मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में एक अद्भुत चमक की वृद्धि होती है।
इस मंत्र का करें जाप
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।