परवेज अख्तर/दारौंदा (सिवान) : बैंकों में वित्तीय अनियमितता की बात जैसे ही सामने आती है लोग तुरंत नीरव और चौकसी का लेने लगते हैं। लोन लेकर बैंकों को रुपये वापस ना करने वालों के ये ब्रांड गए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिले में भी कई ऐसे नीरव और चौकसी हैं जो इनकी राह पर चलकर अधिकारियों की मिलीभगत से बैंकों को करोड़ों रुपये का चूना लगा हरे हैं। ताजा मामला दारौंदा प्रखंड के सवानविग्रह स्थित उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के शाखा का है जहां छह वर्ष पूर्व लोन के नाम पर वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप में आरोपित किए गए तत्कालीन कैशियर को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार कैशियर लकड़ीनबीगंज थाना के बाला निवासी लालबदन मांझी है। कैशियर पर अपने कार्यकाल में गलत तरीके से दो करोड़ 76 लाख रुपये के गबन का आरोप है। फिलहाल कैशियर से पुलिस पूछताछ कर रही है और बैंक से कई सारे कागजात को पुलिस ने जब्त कर लिया है। बता दें कि अनियमितता का दबाव इतना बढ़ गया था कि तत्कालीन बैंक के शाखा प्रबंधक राजेश खन्ना को आत्महत्या करनी पड़ी। यही कारण है कि कैशियर लालबदन मांझी बैंक छोडकर फरार हो गया था। 2012 में 2 करोड़ 76 लाख का गबन की प्राथमिकी दारौंदा थाने में दारौंदा कांड संख्या 165/12 में कराई थी।
छह वर्षों से बैंक ने नहीं दिया किसी ऋणी को लोन
बता दें कि इस घटना के बाद बैंक ने किसी भी लोनी को पिछले छह सालों में लोन ही नहीं दिया है। इस कारण यहां के उपभोक्ताओं में काफी रोष भी रहता है। बैंक में वर्तमान समय में दो हजार से ज्यादा उपभोक्ता हैं इनमें कई ऐसे उपभोक्ता हैं जो लोन के लिए कई बार बैंक का चक्कर लगा चूके हैं, लेकिन उन्हें विभागीय आदेश के कारण लोन नहीं दिया गया। सूत्रों की माने तो इस बैंक ने आठ करोड़ से अधिक का ऋण अभी भी उपभोक्ताओं के यहां बकाया है। लोन देने में नाम किसी और का तथा कागजात किसी और के थमा दिए गए हैं। जिसके चलते बिचौलियों के जाल में बैंक के अधिकारी फंसते चले गए।
कहते हैं बैंक प्रबंधक
सवानविग्रह बैंक के शाखा प्रबंधक हीरा लाल ने बताया कि जब से इस बैंक में गबन हुआ हैं तभी से इस बैंक से ऋण स्वीकृत नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि करीब आठ करोड़ से अधिक ऋण बकाया है। कोई उपभोक्ता इस ऋण को चुकाना नहीं चाह रहे हैं। ऋण भी ऐसे तरीकों से दी गई है कि कोई कार्रवाई किस पर करें। इसके लिए पदाधिकारियों से मार्गदर्शन मांगी गई है। लेकिन कोई स्पष्ट नीति नहीं मिलने के चलते वसूली भी नहीं हो पा रही है और ना ही नए ऋण देने का आदेश मिल रहा है। बैंक के कैशियर लाल बदन मांझी छह वर्षों से फरार चल रहे थे तभी पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि दारौंदा में लालबदन मांझी दिखाई दिए तो पुलिस ने छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
कहते हैं थाना के पदाधिकारी
इस संबंध में अनि रामसागर सिंह ने बताया कि कैशियर की गिरफ्तारी होने से गबन की कई महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। गुरुवार को पुलिस ने कैशियर लालबदन मांझी को जेल भेज दिया गया।[sg_popup id=”5″ event=”onload”][/sg_popup]