परवेज़ अख्तर/सिवान:
गोरेयाकोठी, बसंतपुर से होकर गुजरने वाली धमई नदी अब अपने अस्तित्व के लिए उद्धारक की बाट जोह रही है। कुछ वर्ष पूर्व तक लोग इस नदी के पानी से स्नान व पूजा करते थे। इस नदी के पानी से लोग घरों में भोजन भी बनाते थे। साथ ही किसान अपने खेतों की सिचाई तथा मवेशियों को पिलाते भी थे, लेकिन इस नदी में गंदगी, मृत पशुओं, मांस का अवशेष फेंकने से काफी दूषित हो गई है। इसके पानी को भोजन बनाने को कौन कहे स्नान भी करना मुनासिब नहीं समझते। साथ ही इस नदी के किनारे जगह-जगह जंगल झाड़ उपजने तथा अतिक्रमण करने से यह नदी अपनी पहचान खोती जा रही है।
इस संबंध में ग्रामीण योगेंद्र प्रसाद, संजय तिवारी आदि का कहना है कि धमई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार अथवा उसके प्रतिनिधियों ने अब तक प्रयास नहीं कर यह साबित कर दिया है कि क्षेत्र की मूल समस्या की ओर उनकी नजर नहीं है। इस संबंध में बीडीओ डॉ. अभय कुमार का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता नदियों को साफ कर उनको अतिक्रमण मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि नदी को दूषित करने में स्थानीय लोगों का भी दोष है। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है।