अंचल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी
घेराबंदी नहीं होने से ग्रामीणों में है आक्रोश
पूर्व में सरकारी अमीन द्वारा हो चुकी है जमीन की पैमाइस
परवेज अख्तर/सिवान:- जिले के पचरुखी प्रखंड के तरवारा बाजार के गंडक नदी के तट अवस्तिथ कब्रिस्तान की घेराबंदी को लेकर काजी टोला गांव के समाजसेवी मरगुब सईद अंसारी के निवास स्थान पर रविवार को एक बैठक सम्पन्न हुई. बैठक के बाद ग्रामीण एकजुट होकर कब्रिस्तान के तट पर पहुंचे जहां अंचल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान तरवारा बाजार व काजी टोला के कई मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. इस दौरान लोगों के प्रति उक्त कब्रिस्तान की घेराबंदी नही होने से बड़े पैमाने पर आक्रोश भी देखा गया. आक्रोशित लोगों का कहना है कि उक्त कब्रिस्तान की घेराबंदी को लेकर हम सभी ग्रामीण अंचल प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक की गुहार लगा चुके हैं. इसके बावजूद उक्त कर कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं हो पा रही है. उधर कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं होने से कब्रिस्तान के अंदर गंदे जानवर प्रवेश कर कब्रिस्तान के अंदर दफन मुर्दों के कबर पर रेंगते रहते हैं. गंदे जानवर का परवेश कब्रिस्तान के अंदर इस्लाम धर्म के अनुसार गलत करार दिया गया है. ग्रामीणों ने एक स्वर में यह भी कहा कि जब-जब विधानसभा तथा लोकसभा का चुनाव आता है. तब-तब प्रत्याशी कब्रिस्तान की घेराबंदी के नाम पर वोट लेकर चले जाते हैं और चुनाव जीतने के बाद अपने द्वारा किए वादों को पूरा नहीं कर पाते हैं. आक्रोशित ग्रामीणों ने यह भी कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व उक्त कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं हुई तो हम सभी तरवारा पंचायत के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग वोट का बहिष्कार करेंगे. जिसकी सारी जिम्मेवारी अंचल प्रशासन की होगी. ग्रामीणों का कहना है कि कब्रिस्तान की घेराबंदी के को लेकर पचरुखी अंचलाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी को आवेदन दिया गया. मगर मामला जस का तस बना हुआ है. बतादें कि गंडक नदी के तट पर अवस्थित कब्रस्तान में तरवारा बाजार, काजी टोला समेत अन्य छोटे-छोटे टोला व कस्बा का मैयत दफन करने के लिए आता है. उधर कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं होने के कारण आसपास के लोगों द्वारा उक्त भूमि को दिन पे दिन अतिक्रमण कर रहे हैं. आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि हम सभी इसका विरोध इसलिए नहीं कर पाते हैं कि यहां शांति व्यवस्था भंग होने के आसार दिखते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सैकड़ों बार आवेदन देने के बावजूद खानापूर्ति के नाम पर अंचलाधिकारी पचरुखी द्वारा कुछ महीनों पहले उक्त भूमि की सिर्फ पैमाइश कराई गई. पैमाइश की समय हम सब लोगों को यह आस जगी कि अब कब्रिस्तान की घेराबंदी हो जाएगी. लेकिन मामला जस का तस बना रहा. बताते चलें कि उक्त कब्रिस्तान की भूमि का रकबा एक बीघा पांच कट्ठा सोलह धुर है. जो कब्रिस्तान की घेराबंदी के लिए सारे नियम को पूरा करता है. इसके बावजूद उक्त भूमि पर कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं हो पा रही है. आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि अगर अंचल प्रशासन इस ज्वलंत समस्या का निदान अपने स्तर से अविलंब नहीं कराया तो हम सभी ग्रामीण एकजुट होकर सूबे के मुखिया नीतीश कुमार के जनता दरबार में जाकर गुहार लगाएंगे. आक्रोश व्यक्त करने वालों में मौलाना मोहम्मद अली साहब, मौलाना अब्दुल हमीद साहब, ग्यासुदिन साहब, भोला साई, करीमउल्लाह ठीकेदार, इफ्तेखार अली उर्फ सोनू बाबु, मोहम्मद इस्लाम अंसारी, जलालुद्दीन अंसारी, बाबू मोहम्मद अंसारी, मोहम्मद साबिर अंसारी, फूल मोहम्मद अंसारी, नौशाद अहमद, जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अब्दुल करीम रिजवी, मौलाना फैयाज़ आलम, मुमताज आलम, शेख नौशाद आलम, नेयाज अहमद सैफी, गोल्डेन सैफी, बाबूजान सैफी, मोहम्मद हदीस अंसारी समेत दर्जनों से अधिक ग्रामीण मौजूद थे.