पटना: जाने – माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार ऐसा बयान दिया है जिससे सियासी गलियारों में नयी चर्चा शुरू हो गई है ।सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार का आने वाले दौर में NDA से मोहभंग हो सकता है ? असल में प्रशान्त किशोर के बारे में कहा जाता है कि वह हर बात को सियासी नफा – नुकसान के नजरिए देखते हैं, इसिलए उनके बयान को महत्व दिया जा रहा है ।
एक न्यूज़ चैनल से खास बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर से जब यह पूछा गया कि वह किसके साथ फिर से काम करना चाहते हैं तो उन्होंने तुरंत नीतीश कुमार का नाम ले लिया। प्रशांत किशोर इंटरव्यू के दौरान रैपिड फायर राउंड का सामना कर रहे थे। उनसे सवाल किया गया कि देश का सबसे बेहतर नेता कौन है, प्रशांत किशोर ने इसका कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन इस बात की इच्छा जरूर जता दी कि वह नीतीश कुमार के साथ फिर से काम करना चाहते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते हैं, इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि वह बिल्कुल प्रधानमंत्री बन सकते हैं। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के साथ काम करने की जो इच्छा फिर से जताई है उसके बाद अब एक बार फिर सियासी गलियारे में कई तरह की चर्चाएं उठने लगी है। सवाल भी उठने लगा है कि क्या प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक समझ से नीतीश कुमार की भविष्य की राजनीति को नए नजरिए से देख रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने इंटरव्यू के दौरान बड़ी बेबाकी के साथ तमाम सवालों का जवाब दिया है। विपक्षी एकजुटता को लेकर भी अपनी राय रखी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर नीतीश कुमार को लेकर पीके का नजरिया क्यों बदल रहा है। एक दौर था , जब एनआरसी के मसले पर नीतीश से अलग राय रखने वाले प्रशांत किशोर ने रास्ता अलग कर लिया । उन्होंने बाद में बिहार का अभियान लॉन्च करते हुए नीतीश के शासन पर जोरदार पंच किया था।
प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार ने उतना कुछ बिहार के लिए नहीं किया, जितनी वह ब्रांडिंग कर रहे हैं। नीतीश कुमार बहुत कुछ बिहार के लिए कर सकते थे लेकिन उन्होंने उस तरफ ध्यान नहीं दिया। प्रशांत किशोर अगर एक बार फिर नीतीश के साथ काम करने की इच्छा जता रहे हैं तो क्या वाकई वह भविष्य में राजनीतिक समीकरण के अंदर बदलाव को भांप चुके हैं। प्रशांत किशोर को ऐसा लगता है कि नीतीश का आने वाले दौर में एनडीए से मोहभंग हो सकता है।
याद रहे कि प्रशान्त कुमार नीतीश कुमार के मुरीद रहे हैं। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और बिहार में महागठबंधन के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। बीजेपी के तमाम मंसूबों पर प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीति से पानी फेर दिया था और बिहार में एनडीए को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था।
नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया और फिर बाद में उन्हें जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष। हालांकि नीतीश कुमार के साथ पीके अपनी राजनीतिक पारी बहुत लंबी नहीं खेल पाए। बाद के दिनों में सीएए और एनआरसी के मसले पर उन्होंने पार्टी लाइन से अलग जाकर अपनी राय रखी और फिर प्रशांत किशोर नीतीश से अलग हो गए।