परवेज अख्तर/सिवान :- मैरवा के सेनीछापर में एक दयनीय अवस्था में कुआं था. इस कुआं से कभी ग्रामीणों की जरूरते पूरी हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ किसी ने इसकी कद्र नहीं की और उसमें कचरा फेंकने लगे. कचरे की वजह से इस कुंए में गंदगी का अंबार लग गया था, लेकिन हाल ही में गांव के कुछ युवाओं की बदौलत ये कुंए फिर से जीवित हो उठए हैं. कुंए में पड़ा सारा कूड़ा व कचरा निकालकर फेंक दिया गया है. जिससे यहां की सारी गंदगी समाप्त हो गई है. जल संरक्षण की दिशा में ये वहां के लोगों का काफी बड़ा कदम है.
सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग दुबे ने बताया कि करीब चार दशक पहले तक ग्रामीण इलाकों में पानी का मुख्य स्रोत कुंए हुआ करते थे. पानी के साथ-साथ सिंचाई का मुख्य जरिया भी था. वहीं हमारी संस्कृति व परम्पराओं में कुंए की बड़ी महत्ता थी. लेखाकार अजय दुबे ने बताया कि कुंआ हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई विरासत है. इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है और नियमित रूप से इसके साफ-सफाई की भी व्यवस्था होनी चाहिए. इस कार्य में अजीत दुबे, निप्पू दुबे, राजेश दुबे, चुन्नू दुबे, मधुसूदन दुबे, सत्यम दुबे, गणेश, शिवम, सुन्दरम, आदित्य एवं समी का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

















