आज में छपी खबर के बाद पदाधिकारियों ने लिया संज्ञान
परवेज अख्तर/सीवान:- जिले के रघुनाथपुर प्रखंड में चोर उच्चको का तांडव इतना जोरो शोर से है कि प्रशासन के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सकते में है और सोचने पर मजबूर हैं कि जब हमलोगो का ये दशा हैं तो प्रखण्ड के दूर दराज और एकांत में रहने वालों लोग अपनी सुरक्षा कैसे करते होंगे।विदित हो कि रघुनाथपुर प्रखण्ड आवास में अगर चोरी से सम्बंधित पीछे की घटनाओं को देखा जाय तो 60 दिनों के अंदर बीती रात को हुई चोरी की घटना छठी हैं। 20 मई को प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के ड्राइवर दिनेश सिंह के आवास से हजारो रुपयों की चोरी हुई थी।
मामला : मंगलवार की रात अंचलाधिकारी देवनारायण झा के आवास में चोरी की असफल घटना बुधवार की रात तक आवासकर्मी चर्चा कर ही रहे थे कि बुधवार की रात तीन घरों में चोरी कर सरकारी बाबुओं की नींद हराम कर दी हैं चोरों ने।बीती रात जेएसएस श्रीधर पाण्डेय के घर से नगद 4300 ₹, पूर्व प्रखण्ड प्रधान सहायक विन्देश्वरी रजक के घर से 500 ₹ नगद व अंचल आदेशपाल स्वर्गीय बाबूलाल राम के आवास में चोरों द्वारा हजारो की सम्पति पर हाथ साफ किए जाने का मामला ने सबको सकते में डाल दिया है।उक्त चोरी लोहे की सीढ़ी के सहारे घर मे घुसकर की गई हैं।उक्त सीढ़ी प्रखण्ड आदेशपाल विजय यादव के आवास के पीछे मिला हैं।चोर तक पहुचने में पुलिस को काफी सहूलियत मिल सकती हैं।
आज समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजीव कुमार ने संज्ञान लेते हुए स्थानीय बीडीओ सन्तोष कुमार मिश्रा व थानाध्यक्ष अभिमन्यु कुमार की जमकर क्लास ली।ज्ञात हो कि रघुनाथपुर सीओ के आवास में 15 दिनों के अंदर मंगलवार की रात दूसरी चोरी की घटना को मुआयना नही किए जाने की शिकायत को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए लिंक सदर एसडीओ को भेजा गया था।सर्व विदित हो कि आज समाचार पत्र रघुनाथपुर का समस्याओं वाली सभी खबर को सम्बन्धित वरीय अधिकारियों व मंत्रालय को भेज दिया जाता हैं।उक्त सभी जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई हैं।चोरी की शिकायत सुन बीडीओ मिश्रा व थानाप्रभारी कुमार ने प्रखण्ड आवास का जायजा लिया।
स्थानीय अधिकारियों की शिथिलता के कारण प्रखण्ड मुख्यालय के गेट व मुख्यालय के पीछे जुआरियों व शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है।कभी भी कोई भी अधिकारी अपने कार्यकाल कक्ष से बाहर की गतिविधियों पर नजर डालना नही चाहता।रघुनाथपुर अंचल में चार अंचल गार्ड हैं, अगर अधिकारी तनिक भी एक्टिव होते तो मुख्यालय की निगरानी अंचल गार्ड से कराई जा सकती हैं।साथ ही सरकारी आवास में गैर सरकारी लोग जबरन कब्जा जमाए हुए है।