छपरा: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण का प्रसार धीरे-धीरे कम होने लगा है। इसस उबरने वाले की संख्या में वृद्धि हो रहे हैं। काफी संख्या में लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। कोरोना को मात देकर समाज की मुख्यधारा में लौटने वाले किसी भी चैंपियन के साथ इस डर से भेदभाव करना कि उससे कोरोना फैल सकता है, लड़ाई को कमजोर बनाएगा। कोरोना वायरस को मात देने वालों के साथ सामाजिक भेदभाव करना वैज्ञानिक और मानवीय दोनों दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कही। उन्होने कहा चैंपियंस ने ऐसे वायरस को हराया है जो कि किसी को भी और कभी भी हो सकता है, इसमें उनका कोई ऐसा दोष नहीं है जिसके लिए उनके साथ सामाजिक भेदभाव किया जाए। वह भी हमारे समाज और परिवार के अभिन्न अंग हैं और इन विषम परिस्थितियों में जब वह कोरोना संक्रमण के कारण तनाव और चिंता में हैं तो उनको मानसिक संबल प्रदान करना सभी का नैतिक दायित्व बनता है।
सामान्य व्यवहार से दूर होगा तनाव
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कोरोना उपचाराधीन के बारे में यह देखने को मिल रहा है कि उनको बीमारी से ज्यादा यह चिंता सताती रहती है कि लोग क्या कहेंगे और उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे। उनकी इस चिंता और तनाव को तभी दूर किया जा सकता है जब उनके साथ पहले जैसा सामान्य व्यवहार करें। कोविड-19 को मात देने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत करना पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि कोरोना से जंग जीतने वाले व्यक्ति से वायरस नहीं फैलता है, नियमित दिनचर्या शुरू करने के साथ कोरोना चैंपियन को भी कोविड-19 से बचाव के प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना अनिवार्य है।
मरीजों की सेवा कर अपना फर्ज निभा रहें योद्धाओं का करें सम्मान
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने आमजनों से अपील करते हुए कहा अपना घर-परिवार छोड़कर कोरोना से हर किसी को सुरक्षित करने में दिन-रात जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति भी लोगों को दिल से शुक्रिया अदा करना चाहिए। लोगों को इस पर विचार करना चाहिए कि जब चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, पैरामेडिकल, एएनएम और आशा कार्यकर्ता लोगों की जिंदगी को बचाने के कर्तव्य को निभाने में जुटे हैं तो ऐसे में लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
कोरोना को मात देकर लौटने वालों का करें स्वागत
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कोरोना को हराने के बाद स्वस्थ होकर अस्पताल से घर आने वाले चैंपियंस का अगर करीबी दिल से स्वागत करें और उनका हालचाल जानें तो वह बहुत जल्दी ही चिंता और तनाव से उबर सकते हैं। इस दौरान ऐसे कई उदाहरण देखने को भी मिल रहे हैं। जहां पर चैंपियंस के अस्पताल से लौटने पर सोसायटी या आस-पड़ोस के लोगों ने फूल बरसाकर उनका एक योद्धा के रूप में स्वागत भी किया है। इसी भावना को जिंदा रखकर ही उनको मानसिक संबल प्रदान करने के साथ ही उनके कष्ट को दूर कर सकते हैं।
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