परवेज अख्तर/सिवान: जिले के बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत मूसेपुर गांव स्थित मस्जिद के खतीबो इमाम हाफिज अजहर आलम सिवानी ने रमजानुल मुबारक पर फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजान के महीने में लगातार अर्श से फर्श तक रहमतों की बारिश होती है। इस्लाम में रोजा का मतलब होता है उपवास रखना। मुस्लिम धर्म में रोजा का मतलब है कि उन्हें सुबह से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने नहीं मिलता है। रोजे के दौरान, मुस्लिमों को दुनियावी चीजों से दूर रहना पड़ता है और उन्हें उनकी आत्मा के विकास के लिए ध्यान केंद्रित करना होता है। रोजा रखने का मतलब होता है कि मुसलमानों को रमजान के महीने में सवा सौ गुना अधिक इबादत करनी चाहिए और उन्हें गलत और अमानवीय कामों से दूर रहना चाहिए।
रोजे के दौरान वे भोजन, पानी और धूम्रपान सभी भोजन वस्तुओं से दूर रहते हैं। मुस्लिम समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए रमजान का महीना सबसे पवित्र महीना होता है। रमजान के इस पवित्र महीने में पूरे महीने मुस्लिमों द्वारा रोजे रखे जाते हैं, मान्यता है कि रोजे रखने वाले व्यक्ति की ईश्वर द्वारा उसके सभी गुनाहों की माफ कर दिया जाता है। अतः प्रत्येक मुसलमान के लिए रमजान का महीना साल का सबसे विशेष माह होता है। मान्यता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुले रहते हैं। अतः अल्लाह के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी मुस्लिमों द्वारा रमजान में रोजे रखे जाते हैं तथा रमजान के बाद मुस्लिमों द्वारा ईद के त्योहार को मनाया जाता है।
इस्लाम में रमजान क्यों मनाया जाता है ?
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण एवं संयम रखने का महीना होता है। अतः रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजे रखने का मुख्य कारण है कि गरीबों के दुख दर्द को समझना।
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