छपरा : पीएचसी मशरक में ओपीडी में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ एस के विद्यार्थी ने विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर इलाज के लिए आए मरीजों और कोरोना वैक्सीन टीकाकरण में आए बुजुर्गों के बीच क्षय रोग टीवी से बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। मौके पर चिकित्सक डॉ मंनोरंजन सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक परवेज रजा, प्रखंड स्वास्थ्य मूल्यांकन पदाधिकारी प्रियाशु प्रकाश समेत स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।24 मार्च को ही क्षय रोग की दवा की खोज वैज्ञानिक एलवट कैमेट ने की थी। इस दिन को विश्व क्षय रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है और जन जागरूकता से क्षय रोग पर नियंत्रण का अभियान चलाया जाता है । चिकित्सक डॉ एस के विद्यार्थी ने क्षय रोग नियंत्रण के लिए आम लोगों में जन जागरूकता लाने व सभी व्यक्तियों की जानकारी के लिए शपथ भी दिलाई गयी। टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों सचेत ना होना और इसे शुरूवाती दौर में गंभीरता से ना लेना। टी.बी किसी को भी हो सकता है, इससे बचने के लिए कुछ सामान्य उपाय भी अपनाये जा सकते हैं।टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं।
लक्षण:- तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी। बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है)।छाती में तेज दर्द।वजन का अचानक घटना।भूख में कमी आना।बलगम के साथ खून का आना।बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना।सांस लेने में तकलीफ।टीबी से संक्रमित रोगियों के कफ से, छींकने, खांसने, थूकने और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में बैक्टीरिया फैल जाते हैं, जोकि कई घंटों तक वायु में रह सकते हैं। जिस कारण स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इसका शिकार बन सकता है। हालांकि संक्रमित व्यक्ति के कपड़े छूने या उससे हाथ मिलाने से टीबी नहीं फैलता।जब टीबी बैक्टीरिया सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचता है तो वह कई गुना बढ़ जाता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढ़ने से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है, टीबी के संक्रमण की आशंका बढ़ती जाती है। टीबी की जांच करने के कई माध्यम होते हैं, जैसे छाती का एक्स रे, बलगम की जांच, स्किन टेस्ट आदि। इसके अलावा आधुनिक तकनीक के माध्यम से आईजीएम हीमोग्लोबिन जांच कर भी टीबी का पता लगाया जा सकता है। अच्छी बात तो यह है कि इससे संबंधित जांच सरकार द्वारा निशुल्क करवाई जाती हैं।
टीबी से बचने के उपाय:-
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