छपरा: जिले में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। इसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी भी की जा रही है। इसी कड़ी में सोमवार को प्लान इंडिया इंटरनेशनल संस्था की ओर से सिविल सर्जन को 5 ऑक्सीजन कंसट्रेटर दिया गया। 10 एलएमपी क्षमता वाले 5 ऑक्सीजन कंसट्रेटर दिया गया है। इस पर सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार के द्वारा प्लान इंडिया के प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया है। सिविल सर्जन ने कहा कि महामारी के दौर में ऑक्सीजन कमी को लेकर काफी परेशानी हुई थी। लेकिन इसके बावजूद छपरा में ऑक्सजीन की कमी महसूस नहीं हुई है। कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर व्यापक तैयारी की जा रही है और इसमें सामाजिक संगठन व संस्था भी सहयोग कर रहे । कई संस्थाओं ने आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति की है ताकि तीसरी लहर में मजबूती के साथ मरीजों की सेवा की जा सके। ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज की जान नहीं जायेगी। उन्होने कहा कि ‘कोरोना से गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखभाल (चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कोविड केयर सेंटर की क्षमता बढ़ाना वांछनीय है। इस क्रम में बच्चों के उपचार से जुड़े अतिरिक्त विशिष्ट उपकरणों और संबंधित बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी।’
ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कार्य तेज
सिविल सर्जन ने बताया कि छपरा सदर अस्पताल परिसर के इमरजेंसी कक्ष के पीछे ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है। आने वाले कुछ ही दिनों में यह निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। अभी ग्राउंड लेवल पर काम चल रहा है। ऑक्सीजन प्लांट शुरू होने के बाद ऑक्सीजन की कमी सामान्य मरीजों से लेकर कोरोना संक्रमित मरीजों तक नहीं होगी और किसी भी मरीज को ऑक्सीजन के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। जीएनएम छात्रावास में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में वाई पैप मशीन आदि लगायी गयी है।
स्वास्थ्य महकमा अब पूरी तरह से तैयार
सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार ने कहा कि सभी की कोशिश रहनी चाहिए कि कोरोना से बचाव के इंतजाम खुद भी करते रहें। ऐसा करने से तीसरी लहर आने की आशंका को ही कुंद किया जा सकता है। फिर भी यदि कोई आकस्मिक स्थिति हुई तो स्वास्थ्य महकमा अब पूरी तरह से तैयार है। कोरोना की तीसरी लहर में शून्य से 18 वर्ष तक के लोगों व बच्चों को अत्यधिक रूप से प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की गई है। इस संभावित परिस्थिति में बीमार बच्चों की अनुमानित वृद्धि से निपटने व नियंत्रित करने के लिए पूर्व तैयारी की जा रही है। इसके लिए चिकित्सकों व नर्सों को राज्यस्तर पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सामुदायिक व्यवस्था में घर पर बच्चों के प्रबंधन और भर्ती कराने की जरूरत पर निगरानी रखने के लिए आशा और एमपीडब्ल्यू को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय समेत सभी पक्षकारों को प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी बल दिया गया है। इस मौके पर सिविल सर्जन के साथ डीपीएम अरविन्द कुमार, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, डीआईओ डॉ. चंदेश्वर सिंह, यूनिसेफ के एसएमसी आरती त्रिपाठी समेत अन्य मौज्द थे।
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