छपरा: बिना चुनौतियों को पार किए बदलाव की कहानी लिखी नहीं जा सकती। लेकिन एक अच्छी बात यह भी है कि अगर यही बदलाव समुदाय के हित से जुड़ा हो तो कुछ लोग जहाँ इस बदलाव के सूत्रधार बनते हैं, वहीं कुछ लोग इसके साक्षी भी बन जाते हैं। शहर से जुड़ा छोटा तेलपा मोहल्ला (वार्ड नंबर 38) आज इसी बदलाव का दास्तां बयान कर रहा है। एक दौर था जब इसी मोहल्ले में बच्चों का टीकाकरण करवाना चुनौती पूर्ण था। लोग अपने बच्चों को टीका लगाने को तैयार नहीं होते थे। वहीं इसी वार्ड में आंगनबाड़ी केंद्र से बच्चों का रुझान भी खत्म होने लगा था। बच्चों की संख्या भी आंगनबाड़ी केंद्र में निरंतर कमने लगी थी। पोषण को लेकर समुदाय में जागरूकता की कमी थी। पोषण पर समुदाय में कोई चर्चा ही नहीं होती थी। लेकिन अब यह पूरा दृश्य बदल चुका है। अब इसी वार्ड की महिलाएं बच्चों के टीकाकरण के लिए उत्सुक दिखती हैं। आंगनबाड़ी केंद्र अब एक मॉडल केंद्र में तब्दील हो चुका है एवं पोषण की चर्चा आंगनबाड़ी केंद्र से निकलकर घर-घर होने लगी है। इस सम्पूर्ण बदलाव की सूत्रधार बनी है छोटा तेलपा मोहल्ला (वार्ड नंबर 38) की आंगनबाड़ी सेविका शर्मिला देवी। इस बदलाव को कुछ शब्दों के साथ आसानी से निरुपित किया जा सकता है। लेकिन इस बदलाव की यात्रा काफ़ी मुश्किलों भरी रही है, जिसे सेविका शर्मिला देवी के अथक प्रयास का नतीजा कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
जन सहयोग से बनाया मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र
सेविका शर्मिला देवी ने बताया आंगनबाड़ी केंद्र के प्रति बच्चों के रुझान में आने वाली कमी ने उनकी चिंताओं को बढ़ा दिया था। बच्चों की उपस्थिति केंद्र में कमने लगी थी। इसके लिए उन्होंने एक रास्ता निकाला। उन्हें इस बात का आभास हुआ कि जब तक आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल रूप में विकसित नहीं किया जाएगा तब तक बच्चों का रुझान केंद्र की तरफ नहीं होगा। इसके लिए उन्होंने ख़ुद पहल करते हुए जनप्रतिनिधि और सेवानिवृत सेना व पुलिस के जवान से बात कर इसके लिए सहयोग माँगा। सबों के सहयोग से शर्मिला देवी को इस सेंटर को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में विकसित करने में सफ़लता मिली। अब इसी केंद्र का नजारा बिल्कुल बदल चुका है। सभी बच्चे अब समय से आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने आते हैं। इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र में अब बच्चों को बैठने के लिए बेंच-कुर्सी, टेबल एवं खेलने के लिए झूले की व्यवस्था की गयी है। प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर सभी बच्चों को आईकार्ड भी दिया गया है। दीवारों पर आकर्षक रूप से वालपेंटिंग की गयी है। बच्चों का अक्षर ज्ञान बढाने के लिए दिवाल लेखन किया गया है।सेविका शर्मिला देवी कहती है- ‘‘आंगनबाड़ी केंद्र
बच्चों की शिक्षा की बुनियाद खड़ी करती है। लेकिन यदि यही बुनियाद कमजोर हो जाए तो बच्चे का आगे का जीवन अंधकारमय हो जाता है। मैंने यही बात घर-घर जाकर लोगों को समझाई। कुछ तो आसानी से समझ गए, लेकिन कुछ लोगों को समझाने में दिक्कतें बहुत आयी। मुझे फ़िर भी यह यकीन था कि मेरी कोशिशें एक दिन बदलाव जरूर लाएगी। आज वह बदलाव आ चुका है। अब तो घर के परिवार वाले ख़ुद ही बच्चों को केंद्र पहुंचाने आते हैं”।
पोषण पर अलख जगाने में बुद्धिजीवियों का मिला साथ
सेविका शर्मिला कहती हैं, जब उन्होने इस क्षेत्र में काम करना शुरू किया था तो लोग पोषण के बारे में भी नहीं जानते थे। पोषण लोगों की प्राथमिकता में शामिल ही नहीं था। यही वजह थी कि पोषण को लेकर समुदाय में कोई चर्चा ही नहीं होती थी। उन्होंने बताया जब वह गृह भ्रमण के दौरान कोई पोषण पर बात करती थी, लोग उसे सुनने को तैयार भी नहीं होते थे। इसके लिए उन्होंने अपने पोषक क्षेत्र के वार्ड पार्षद की मदद ली। सामुदायिक मीटिंग में वार्ड पार्षद, रिटार्यड शिक्षक, सेना एवं पुलिस के जवान के लोगों को शामिल करायी, जिसका सकारात्मक असर देखने को भी मिला। धीरे-धीरे लोगों में पोषण को लेकर जागरूकता आयी है। अब यहाँ की महिलाएं केंद्र पर होने वाली पोषण गतिविधियों से सिर्फ परिचित ही नहीं है बल्कि सभी गतिविधियों में शामिल भी होती हैं।
बेहतर कार्य के लिए हो चुकी हैं सम्मानित
सेविका के इस कार्य को सारण के जिलाधिकारी भी सराहना कर चुके हैं। इसके साथ सदर शहरी क्षेत्र के सीडीपीओ के द्वारा उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए दो बार सम्मानि भी किया गया है। सेविका शर्मिला देवी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है।
समर्पण भावना से करती है कार्य: नरगिश बानो
वार्ड नंबर 38 के वार्ड पार्षद नरगिश बानो कहती हैं- ‘‘सेविका शर्मिला देवी अपने कार्य को लेकर काफी समर्पित रहती है। उन्होने क्षेत्र में काफी बदलाव किया है। क्षेत्र में पोषण व शिक्षा में काफी बदलाव आया है। उन्होने आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल बनाया। जिस कारण आज सभी बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्र पर पढ़ने जाते हैं। वहां पर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के साथ पोषण का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। सेविका का कार्य काफी सराहनीय है। लोगों को जागरूक करने या समझाने में कोई दिक्कत होती है तो वह मुझसे भी मदद लेती है। मैं भी सामुदायिक बैठक में जाती हूं और लोगों को समझाती हूं’’।
पोषण पर मुझे मिली जानकारी: मीना
वार्ड नंबर 38 के निवासी कृष्णा कुमार की पत्नी मीना देवी कहती हैं, वह पहले पोषण को लेकर उतना जागरूक नहीं थी। लेकिन जब से सेविका घर-घर आकर लोगों को बताना शुरू की और अन्नप्राशन और गोदभराई में पोषण के महत्व को बताया तो उन्हें जानकारी मिली। अब वह भी पोषण के प्रति जागरूक रहती हैं एवं अपने बच्चों के पोषण का ख्याल रखती हैं। शर्मिला देवी ने उन्हें छह माह के बाद बच्चे को पूरक आहार देने की महता पर विस्तार से जानकारी दी थी। तब से वह अपने बच्चे को अनुपूरक आहार दे रहीं हैं और साथ ही स्तनपान भी कराती हैं।
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