छपरा: सारण जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड के कसीना गाँव में बदलाव की सड़क बननी मुश्किल थी. आर्थिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों से जुझते लोगों की प्राथमिकता में बेहतर स्वास्थ्य का जुड़ना इतना आसान नहीं था. शिशु स्वास्थ्य की आधारशिला तैयार करने वाला नियमित टीकाकरण के प्रति गाँव के लोगों का रुझान बिल्कुल नहीं था. यही कारण था कि गाँव में नियमित टीकाकरण को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग का प्रयास भी लोगों की भ्रांतियों को तोड़ने में सफ़ल नहीं हो रहा था.
लेकिन अब यह तस्वीर बदल चुकी है। गांव के लोगों में स्वास्थ्य और नियमित टीकाकरण के प्रति जागरूकता आयी है। लोग बिना बुलाये केंद्र पर आकर टीकाकरण करा रहें है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग का विशेष पहल, उपलब्ध संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल एवं क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभरी है।
जागरूकता का अभाव थी बड़ी चुनौती:
आशा कार्यकर्ता प्रतिमा सिन्हा बताती है कि “ वर्ष 2012 से इस क्षेत्र में आशा के रूप में काम कर रही हूं। चार-पांच वर्ष पहले इस गांव के लोगों में नियमित टीकाकरण के प्रति जागरूकता का काफी अभाव था। लोगों को समझाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। ठंड हो या बरसात या फिर कड़ी धूप घर-घर जाकर लोगों को टीकाकरण के प्रति प्रेरित करती थी. एक दिन में एक ही घर पर दो से तीन बार जाना पड़ता था. तब भी लोग केंद्र पर टीकाकरण कराने नहीं आते थे। फिर भी मैं अपने कर्तव्य से पिछे नहीं हटी और सामूहिक सहभागिता से जागरूकता फैलाती रही। इसका नतीजा है कि आज गाँव में नियमित टीकाकरण की स्थिति बेहतर हुयी. वहीं, इसका सकारात्मक प्रभाव अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर भी हुआ है’’.
नियमित अनुश्रवण और क्षमता वर्धन भी हुआ कारगर सिद्ध:
गड़खा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सर्वजीत कुमार ने बताया कि इस गांव में नियमित टीकाकरण के प्रति जागरूकता के लिए विशेष पहल की गयी। जिला और प्रखंडस्तरीय पदाधिकारियों को द्वारा नियमित अनुश्रवण किया जाता रहा। समय-समय पर गांव में जाकर लोगों से संपर्क कर जागरूक करने का किया गया। इसके साथ हीं आशा कार्यकर्ता और एएनएम का क्षमता वर्धन किया गया ताकि चुनौतियों को दूर किया जाय सके। गांव में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए कालाजार के छिड़काव कर्मियों को भी जोड़ा गया। छिड़काव कर्मियों ने भी समय-समय पर लोगों को जागरूक करने का काम किया। यहां के विकास मित्र, मुखिया, केयर इंडिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, स्थानीय आशा प्रतिमा सिन्हा, एएनएम श्वेता सिन्हा और अन्य लोगों को शामिल कर विशेष अभियान चलाया गया। इस क्षेत्र में नियमित रूप से आरोग्य दिवस आयोजित कर लाभार्थियों का टीकाकरण किया जाता है। जिससे समुदाय में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।
विभाग के प्रयास को समुदाय ने किया स्वीकार:
इस गांव में नियमित टीकाकरण के प्रति जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जो प्रयास किया गया है उसे समुदाय के लोगों ने स्वीकार किया है। उसी का परिणाम है कि आज लोग टीकाकरण पर चर्चा कर रहे है और सेंटर पहुंच कर टीकाकरण भी करा रहे है। डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, सिविल सर्जन, सारण।
क्या कहते समुदाय के लोग:
कसीना गांव के स्थानीय निवासी संध्या देवी का कहना है कि पहले टीकाकरण को लेकर पुरे गांव के लोगों में जागरूकता की कमी थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग प्रयास से बदलाव आया है.लोग समझ चुके है विभाग प्रयास हम सभी के लिए है। इसलिए अब लोग अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ रहे है।
क्या है आंकड़ा:
गड़खा प्रखंड के कसीना गांव में पिछले साल 2021 में शून्य से पांच साल तक 295 बच्चों और 245 गर्भवती महिलाओं का पूर्ण टीकाकरण किया गया है। अगर प्रतिशत की बात करें तो 84 प्रतिशत लाभार्थियों का पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वें 2015-16 के आंकड़ा के अनुसार जिले में 12 से 23 माह 55.1 प्रतिशत बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण होता था. अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वें 2019-20 के अनुसार जिले में 12 से 23 माह के 72 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हुआ है।
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