परवेज अख्तर/सीवान : मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना सात निश्चय योजना-2 के तहत संचालित “बाल हृदय योजना” सीवान जिले के दारौंदा प्रखंड के करसौत गांव निवासी गणेश महतो के 13 वर्षीय पुत्री रिंकू कुमारी के लिए वरदान साबित हुआ है. जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) गंभीर रोगों से घिरे बच्चों के लिए कारगर साबित हो रहा है. इसी प्रकार, 13 साल की रिंकू के लिए आरबीएसके किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ.
आरबीएसके के टीम ने विद्यालय में स्क्रिनिंग के दौरान पाया कि बच्ची के दिल में छेद है. तो उसे सदर अस्पताल सीवान रेफर किया गया. सभी आवश्यक जांच के बाद उस बच्ची हो आईजीआईसी (इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना) में रेफर किया गया. जहां से बिहार सरकार ने रिंकू के बेहतर इलाज के लिए वायुयान से अहमदाबाद भेजा. प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाऊंडेशन की सहायता से अहमदाबाद में रिंकू का सफल ऑपरेशन किया गया. अब रिंकू कुमारी स्वस्थ होकर अपने घर लौट आयी है.
बाल ह्रदय योजना के तहत मिली सुविधा
आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. मो. नौशाद आलम ने बताया कि बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है. सात निश्चय-2 के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों के निशुल्क उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु नई योजना बाल हृदय योजना पर 5 जनवरी, 2021 को मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति दी गई है. योजना 1 अप्रैल,2021 से लागू है. इसी योजना के तहत बच्चों को निःशुल्क ईलाज मिला है. बिहार सरकार ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था. प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाऊंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद आधारित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है तथा इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.
मेरे जीवन का सबसे बड़ा बोझ हल्का हो गया
रिंकू कुमारी के पिता गणेश महतो अपने बिटिया के सफल ऑपरेशन के बाद काफी खुश है. उन्होंने कहा कि उनकी बेटी का स्वस्थ होकर घर लौटना यह उनके जीवन का सबसे बड़ा ख़ुशी का पल था. उन्होंने यह उम्मीद ही छोड़ दी थी कि कभी उनकी बेटी स्वस्थ हो सकेगी. लेकिन सरकार के प्रयास से यह संभव हो सका है. उन्होंने कहा- ‘‘मेरी बिटिया अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है. मेरे आंगन में खुशिया चहक रही है. घर के अंदर खुश का माहौल है. यह ऑपरेशन पूरी तरह से नि:शुल्क किया गया है. यदि मैं निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन कराता तो कम से कम 3 से 4 लाख रुपये खर्च हो जाते. यह खर्चा उठाना मेरे लिए काफी मुश्किल था.
फ्लाइट की सुविधा भी मिली निश्शुल्क
रिंकू को अहमदाबाद भेजने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति से पहले एंबुलेंस से घर से पटना भेजा गया. वहां से फ्लाइट से अहमदाबाद भेजा गया. अहदाबाद से ऑपरेशन कराकर लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर उतरे. सभी इलाज कर वापस लौटे बच्चों का स्वास्थ्य विभाग की तरफ़ से स्वागत किया गया. फिर एंबुलेंस से उसके घर तक पहुंचाया गया. यह सभी सुविधा रिंकू के परिवार को पूरी तरह से नि:शुल्क दी गयी.
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