सिवान:- कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच टीबी मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएँ अब बाधित नहीं होगी. इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आरएनटीसीपी( रिवाइज्ड नेशनल टीबी प्रोग्राम) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. केएस सचदेवा ने राज्य के राज्य स्तरीय टीबी पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखकर विस्तार से दिशानिर्देश दिया है. पत्र में बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के बीच भी टीबी की रोकथाम एवं उपचार को लेकर प्रदान की जाने वाली सेवाओं को नियमित रखने की जरूरत है. इसके लिए राज्य एवं जिला स्तर पर कार्यरत संबंधित अधिकारीयों एवं कर्मियों को इस महामारी काल में भी अधिक सतर्क रहकर टीबी संबंधित सेवाओं को सुचारू रखने की जरूरत है. जिसमें टीबी की रोकथाम, डायग्नोसिस, उपचार एवं देखभाल संबंधित सेवाएं शामिल है. साथ ही इस दौरान टीबी के कारण होने वाली अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी. पत्र में यह भी बताया गया है कि टीबी प्रबंधकों की यह जिम्मेदारी है कि डायग्नोसिस के साथ टीबी मरीजों की पहचान करने का कार्य भी जारी रखना सुनिश्चित करें.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीबी कर्मी बरतें सावधानी: कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार के मद्देनजर टीबी कर्मियों( हेल्थ केयर स्टाफ एवं लेबोरेटरी टेकनीशियन) को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है जो टीबी सैंपल कलेक्शन एवं उसके जांच संबंधित कार्यों में शामिल होते हैं:
लेबोरेटरी में सेफ्टी मेजर का ऐसे करें अनुपालन
टीबी कर्मी व्यक्तिगत सुरक्षा का भी रखें ख्याल
प्रवासी मजदूरों को मिले बेहतर सुविधा
पत्र में बताया गया हा कि प्रवासी मजदूरों में टीबी से ग्रसित होने की संभावना अधिक है. इसलिए संभावित लोगों जांच की जाए. कोरोना के मद्देनजर राज्य में उनके लिए बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में यदि किसी प्रवासी मजदुर में टीबी के संभावित लक्षण हों तो भी उनकी टीबी की जांच की जानी चाहिए. इसके लिए राज्य/जिलों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी प्रवासी मजदूरों में जो भी टीबी से ग्रसित हों, उन्हें समुचित देखभाल एवं दवा मिल सके.
हॉस्पिटल ट्रीटमेंट की जगह सामुदायिक आधारित देखभाल अधिक कारगर:
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए सामान्य टीबी मरीजों को हॉस्पिटल में उपचार देने की जगह सामुदायिक देखभाल पर अधिक जोर देने की बात कही गयी है. साथ ही टीबी अस्पतालों में ओपीडी भीड़ से कोरोना संक्रमण के बढ़ने की आशंका को देखते हुए टीबी मरीजों को 1 महीने की दवा एवं अत्यधिक गंभीर स्थिति में 2 महीने की एंटी-टीबी दवाएं देने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि बेवजह लोगों की अधिक भीड़ अस्पतालों में न हो सके.
कोविड-19 के ग्रीन, ऑरेंज एवं रेड जोन के मुताबिक टीबी सेवा प्रदान करने के निर्देश:
कोरोना संक्रमण के प्रसार को देखते हुए सभी राज्यों में में ग्रीन, ऑरेंज एवं रेड जोन जिले निर्धारित किये गए हैं. पत्र में बताया गया है कि ग्रीन जोन जिले में टीबी संबंधित सभी सेवाएं सामान्य तरीके से प्रदान की जाए. जिसमें दवाओं का वितरण, सैंपल का ट्रांसपोर्टेशन, मरीजों का आवागमन आदि सेवाएं शामिल हैं. ऑरेंज जोन जिले जिला प्रशासन द्वारा कोविड-19 के संक्रमित क्षेत्र में कुछ नामित अधिकारीयों को छोड़कर शेष कर्मी टीबी संबंधित सेवाओं को प्रदान करने में शामिल रहेंगे. जबकि रेड जोन जिले में जो कोविड-19 एवं राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम दोनों में शामिल हैं, वे यह प्रयास करेंगे कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम किसी भी तरह से कमजोर न हो.
टोल फ्री नंबर से लें जानकारी
टीबी संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नंबर(1800-11-6666) के विषय में आम जागरूकता बढ़ाने की बात कही गयी है.
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