परवेज़ अख्तर/सिवान:
कन्या भ्रूण हत्या की जांच के लिए, प्रसव पूर्व नैदानिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1994 को 1 जनवरी, 1996अधिनियमित किया गया और इसे अमल में लाया गया। इस अधिनियम के तहत कई नियम भी बनाए गए हैं। अधिनियम भ्रूण के लिंग के निर्धारण और प्रकटीकरण पर प्रतिबंध लगाता है।लेकिन इन सब नियमों को एक ताक पर रखकर सिवान जिले के पचरुखी प्रखंड स्थित तरवारा बाजार के बसंतपुर रोड अवस्थित कादरिया मार्केट के भू स्वामी सह झोलाछाप चिकित्सक नेसार कुरैशी जो दिन के उजाले में निर्भीक होकर खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।इस मार्केट में 1 महीने में दर्जनों भ्रूण हत्याएं की जाती है। हालांकि भ्रूण हत्याएं को लेकर जो नियम व कानून बनाए गए हैं उसमें स्पष्ट जाहिर है कि जो व्यक्ति इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, वह कारावास और जुर्माना के साथ दंड का भागी होगा।
यहां गौर करने की बात तो यह है कि झोलाछाप चिकित्सक के निर्भीक होकर जघन्य अपराध की घटना को अंजाम देने के बाद एक सवाल अपने आप में पनप रहा है कि कहीं सदर अस्पताल के पदाधिकारी इसमें लिप्त तो नहीं है ?यहां बताते चलें कि झोलाछाप चिकित्सक द्वारा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों बिचौलिए महिलाएं को बंधी बधाई रकम देकर रखा गया है जो गांव – गांव में घूम – घूम कर भोली भाली भ्रूण हत्या कराने वाली इच्छुक महिलाएं को लेकर उपरोक्त स्थान पर लाती है।जहां पर मौजूद झोला झाप चिकित्सक द्वारा मनचाहा पैसा की वसूल कर इस काली करतूत को नियम को एक ताक पर रखकर वर्षों से अंजाम देते आ रहा है।बहरहाल चाहे जो हो इन दिनों जिला प्रशासन व सदर अस्पताल प्रशासन की अनदेखी से उपरोक्त स्थान पर भ्रूण हत्याएं का सिलसिला अपने उरूज पर है।
क्या है भ्रूण हत्या ?
भ्रूण हत्या का मतलब है कि जन्म से पहले होने वाले बच्चे की हत्या कर देना।प्रसवार्थ निदान तकनीकि (दुरुपयोग का विनियम व निवारम) अधिनियम, 1994 लिंग की जांच और उसकी हत्या के खिलाफ कानून गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना या करवाना।शब्दों या इशारों से गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बताना या पता करना।गर्भवती महिला को उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में जानने के लिए उकसाना।
कानून का उल्लंघन करने पर सजा
धारा 313 के अनुसार स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात करवाने वाले को आजीवन कारावास या जुर्माने की सजा दी जा सकती है।धारा 314 के अनुसार गर्भपात के दौरान स्त्री की मौत हो जाने पर 10 साल का कारावास या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।धारा 315 के अनुसार नवजात को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के बाद उसको मारने की कोशिश करने का अपराध करने पर 10 साल की सजा या जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है।
क्या कहते हैं जिला पदाधिकारी
इस संबंध में जिला पदाधिकारी श्री अमित कुमार से जब हमारे संवाददाता ने दूरभाष पर उनसे जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि ऐसी जघन्य अपराध के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।ऐसी घटना के जांच के लिए सदर अस्पताल प्रशासन द्वारा एक टीम गठित कर छापेमारी कराई जाएगी।और भ्रूण हत्या में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर कानूनी कारवाई की जाएगी।
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