विभागीय कार्रवाई का विषय बन गया स्थानीय राजनीति का अखाड़ा
पुलिस विभाग में अनुशासन और आंतरिक गोपनीयता के अभाव का परिणाम है इतना बड़ा विवाद
परवेज़ अख्तर/सीवान:- दरौली में पशु तस्करों से हुए अवैध वसूली के आपसी हिस्सा बंटवारे को ले विगत बृहस्पतिवार को रात्रि में हुए थाने के पदाधिकारी व होमगार्ड के सिपाहियों के बीच विवाद में पुलिस विभाग के पदाधिकारी यह मानने पर तैयार नहीं कि यह विवाद शराब के नशे के कारण हुआ है, वही दूसरी तरफ भाकपा माले के स्थानीय विधायक सहित अन्य कार्यकर्ता यह मानने को तैयार नहीं कि यह विवाद पशु तस्करों से किए गए अवैध वसूली के आपसी बंटवारे को लेकर हुआ है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी राग अलाप रहे हैं । वही क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि इस उथल-पुथल के पीछे कहीं ना कहीं से पुलिस विभाग की आंतरिक अनुशासनात्मक और गोपनीयता के दायित्वों के निर्वहन का निश्चित रूप से अभाव रहा है। यही नहीं क्षेत्र के लोग एक बार यह भी सोचने पर विवश होते जा रहे हैं कि थाना के पदाधिकारियों और होमगार्ड के सिपाहियों के बीच हुए विवाद के बाद पुलिस अधीक्षक सिवान के आदेश पर जांच करने पहुंचे पुलिस निरीक्षक मैरवा प्रभागको सभी विवादित पदाधिकारी और होमगार्ड के सिपाहीयों के द्वारा पदाधिकारी प्रमोद कुमार तिवारी और रमेश कुमार सिंह के नशे में होने की बात क्यों नहीं बताई गई ? साथ ही पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर उक्त दोनों पदाधिकारियों का मुंह खुलवा कर जब पुलिस निरीक्षक मैरवा प्रभाग ने यह जानने का प्रयत्न किया कि क्या यह लोग शराब के नशे में हैं तो इनको शराब का गंध क्यों नहीं मिला? इनको छोड़ भी दिया जाए तो साथ में निरीक्षण में सहयोग कर रहे थानाध्यक्ष को तो निश्चित रूप से शराब का दुर्गंध आना चाहिए था ? क्योंकि इस बारे में जब आज वर्तमान थानाध्यक्ष जय नारायण राम से पूछा गया तो उन्होंने भी पुलिस निरीक्षक द्वारा किए गए जांच प्रतिवेदन को सत्य बताते हुए कहा कि जांच के दौरान किसी ने भी शराब के नशे में धुत्त होने की बात नहीं बताई थी। यहां तक कि दूसरे दिन डीआईजी सारण प्रभाग के निर्देश पर जब इस घटना की जांच करने सिवान पुलिस लाइन के मेजर साहब पहुंचे तो उन्हें भी किसी ने पुलिस पदाधिकारी प्रमोद तिवारी और रमेश कुमार सिंह के नशे में धुत होने की बात नहीं बताई जबकि मेजर साहब के जांच करने के पहले यहाँ के एक स्थानीय पत्रकार के द्वारा होमगार्ड के जानवरों के द्वारा दिया गया स्टेटमेंट WhatsApp पर वायरल किया जा चुका था। फिर जांच के दौरान इतने बड़े शराब के नशे से संबंधित बिंदु मेजर साहब के नजर से कैसे दूर रह गए और जब पदाधिकारियों को जांच के दौरान प्रमोद तिवारी और रमेश कुमार सिंह के नशे में होने की बात समझ में नहीं आई तो फिर स्थानीय विधायक सहित भाकपा माले कार्यकर्ता तथा कुछ स्थानीय पत्रकार इतने बड़े विवाद का मुख्य कारण शराब के नशे मे धुत होना कैसे मान रहे हैं । फिलहाल स्थानीय विधायक सहित भाकपा माले कार्यकर्ताओं का मुख्य दृष्टि और प्रयास स्थानीय मैरवा प्रभाग के पुलिस निरीक्षक अरुण कुमार के निलंबन पर लगी हुई है और उन लोगों का कहना है कि विभाग पुलिस निरीक्षक मैरवा प्रभाग अरुण कुमार तथा पुलिस विभाग के प्रतिष्ठा को बचाने के लिए इस शराब के विवाद को अवैध वसूली के विवाद का रूप दे रही है।जबकी विभागीय जाँच के दौरान पुलिस निरीक्षक मैरवा प्रभाग से लेकर विभाग के उच्चस्थ पदाधिकारी तक विवाद का मुख्य कारण शराब के नशा को नही मान रहे है।कुछ स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि इसे सरकार को बदनाम करने की षडयंत्र मान रहे हैं।