पटना: बिहार के सारण स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय में जेपी के विचारों को ही राजनीति विज्ञान के पीजी सिलेबस से हटा दिया गया है। यह ऐसे समय किया गया है जब राज्य की सत्ता जेपी के शिष्य नितीश नितीश कुमार के हाथों में है। जिस यूनिवर्सिटी का नाम ही जेपी के नाम पर पड़ा उनके ही विचारों को चैप्टर से हटाना बड़ा मुद्दा बन गया है। राजद अध्यक्ष लालू यादव समेत तमाम लोगों ने इस पर विरोध जताया है।
जेपी के साथ ही राम मनोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजा राम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार भी सिलेबस से बाहर करते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है। हालांकि कहा जा रहा है कि बिहार सरकार की मामले में गंभीर चिंता के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति फारूक अली ने एक दो महीने में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से जेपी व अन्य के विचारों को सिलेबस में बहाल करने का आश्वासन दिया है।
जेपी के विचारों को सिलेबस से हटाने को लेकर सारण के छात्रों व प्रबुद्ध संगठनों में भारी रोष व्याप्त है। लोकनायक जयप्रकाश के नाम पर ही उनका विवि स्थापित है पर उन्हीं के विचारों को चैप्टर से हटाने का विरोध शुरू हो गया है। एसएफआई छात्र संगठन ने इसको लेकर विरोध दर्ज किया है। संगठन के राज्य अध्यक्ष शैलेंद्र यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भी इसकी शिकायत रजिस्ट्रार से की है। एसएफआई ने कहा कि हटाए गए महापुरुषों की जीवनी को सिलेबस में अगर शामिल नहीं किया गया तो एक बड़ा आंदोलन होगा।
लालू यादव ने किया हमला
सिलेबस से जयप्रकाश के विचारों को हटाने पर राजद प्रमुख लालू यादव ने भी हमला किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार औऱ संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे है। यह बर्दाश्त से बाहर है। सरकार तुरंत संज्ञान ले।
च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू होने से हुआ बदलाव
विश्वविद्यालय के स्थापना काल से ही लोहिया और जेपी समेत कई महापुरुषों की जीवनी छात्र पढ़ते आ रहे हैं। सत्र 2018-20 से च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बाद सिलेबस में बदलाव हुआ है। राजभवन की संबंधित विषयों की एक्सपर्ट शिक्षकों की टीम ने सीबीसीएस का सिलेबस तैयार कर विवि में भेजा है। विभिन्न विवि में आंशिक संशोधन करते हुए सिलेबस को लागू कर दिया गया।
वीसी बोले, अगले सत्र से सिलेबस में शामिल होगा
यूनिवर्सिटी के वीसी फारुक अली ने कहा कि नए पाठ्यक्रम को उनकी नियुक्ति से पहले ही राजभवन से मंजूरी दे दी गई थी। सीबीसीएस के कार्यान्वयन में देरी के कारण इसे लंबित रखा गया था। सीबीसीएस को बहुत पहले लागू किया जाना चाहिए था लेकिन जेपीयू में यह संभव नहीं हो सका। बिहार के सभी विश्वविद्यालयों ने 2018 तक ऐसा कर लिया। मैंने सितंबर 2020 में यहां ज्वाइन किया और चाहता था कि छात्रों के लाभ के लिए सीबीसीएस को सीधे लागू किया जाए। मुझे बताया गया कि पाठ्यक्रम तैयार है और चूंकि दो साल की बैकलॉग परीक्षा के कारण समय नहीं बचा था, इसलिए इसे लागू कर दिया गया।
वीसी ने यह माना कि जब यूनिवर्सिटी ही जेपी के नाम पर है तो उनका विचार क्यों नहीं रहेगा। जेपी पर अलग से पूरा पाठ्यक्रम होना चाहिए। बैकलॉग परीक्षाएं पूरी होने पर अगले कुछ महीनों में नए पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाएगा। वीसी ने कहा कि इसके साथ ही स्थानीयता को भी पाठ्यक्रम में रखा जाना चाहिए। भाषा के पत्रों में भिखारी ठाकुर और फणीश्वर नाथ रेणु को अंग्रेजी और हिंदी दोनों में विशेषज्ञ समिति ने शामिल किया है लेकिन समय की कमी के कारण राजनीति विज्ञान के पेपर में इसे अप्रूव नहीं किया जा सका। जेपी का नाम भी इसी वजह से हट गया। कहा कि मैं देर से शैक्षणिक सत्र बहाल करना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसमें मेरी कोई गलती भी नहीं लेकिन मैं शर्मिंदा हूं।
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