परवेज अख्तर/सिवान: सिवान में शुक्रवार की सुबह एक इलाजरत छह वर्षीय बच्चे की मौत के बाद चिकित्सक के नर्सिंग होम के बाहर हंगामा कर रहे आक्रोशित परिजनों को कुछ लोगों द्वारा दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया है। इस मारपीट में चिकित्सक के क्लीनिक में तोड़फोड़ की घटना की बात कही गई। हालांकि जब सिवान न्यूज़ ऑनलाइन की टीम वहां पहुंची तो तोड़फोड़ की घटना हो चुकी थी और सामान बिखरे पड़े हुए थे। पिटाई में आधा दर्जन लोग घायल हो गए। घायलों ने पिटाई करने वालों को शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश कुमार सहित आसपास के चिकित्सकों का कर्मी बताया है। मृत बच्चा मुफस्सिल थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव निवासी अवधेश शर्मा का पुत्र आर्यन शर्मा बताया जाता है। पिटाई करने वाले चिकित्सक के कर्मियों की दबंगई यहीं नहीं थमी उन्होंने मृत बच्चे के दो परिजनों को चिकित्सक के नर्सिंग होम में बंधक भी बना दिया। इसकी सूचना जैसे ही पुलिस को मिली, मौके पर पहुंच कर घायल परिजनों को पुलिस ने उनके कब्जे से छुड़ा कर पुलिस अभिरक्षा में सदर अस्पताल में इलाज कराने को भेजा। यह ड्रामा दोपहर तक जारी रहा। इधर अस्पताल में पहुंचने के बाद घायल आक्रोशित हो गए और न्याय की गुहार लगाते हुए अस्पताल के सामने माले के नेतृत्व में सिवान-बड़हरिया मुख्य पथ पर लेट कर प्रदर्शन करने लगे। इस कारण कुछ देर के लिए आवागमन बाधित हो गया। इसके बाद नगर थाना, महादेवा ओपी,मुफस्सिल थाना के पुलिस पदाधिकारियों ने समझा बुझा कर उन्हें शांत कराया। बाद में पचरुखी बीडीओ द्वारा मुआवजा की घोषणा किए जाने के बाद जाम हटाया गया। मामले में मृत बच्चे के चाचा फलदार शर्मा ने चिकित्सक सहित पांच लोगों को आरोपित करते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया है।मारपीट की घटना में बीच-बचाव करने आए एमआइए के सचिव डॉ. शरद चौधरी के कान में हल्की चोट आई थी।
शुक्रवार को एक छह वर्षीय निमोनिया से ग्रस्त मासूम की मौत के बाद बच्चे के परिजनों की पिटाई के दौरान लोग मूकदर्शक रहे। हैरानी की बात तो यह है कि जिन्होंने अपने घर का चिराग खोया था उन्हें ही जबरन बंधक बना दिया गया था। गनीमत यह रही कि मौके पर पुलिस पहुंच गई और उन्हें चिकित्सक के कर्मियों से छुड़ाकर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा। इधर सदर अस्पताल में जब बच्चे को इलाज के लिए उसके परिजन लेकर आए थे तो उसे सदर अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने बच्चे का इलाज ना कर उन्हें फटकार लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद जब आम लोगों ने चिकित्सक के व्यवहार के प्रति नाराजगी जताई तो फिर चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। ऐसे में परिजनों का आरोप था कि अगर सदर अस्पताल के चिकित्सक बच्चे का इलाज करते तो शायद उनका चिराग आज उनके बीच होता।
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