परवेज अख्तर/सिवान : रोजे से अच्छे-बुरे को समझ विकसित हो जाती है। नेक काम करने का एहसास जाग उठता है। यह बातें हाफिज नूरी जमा ने रोजा की फजीलत बताते हुए कही। अच्छी- बुरी और पाक-नापाक चीजों में फर्क की समझ पैदा होने से व्यक्ति बुराई से बचता है और भलाई की तरफ बढ़ता है।इसलिए रमजान की कदर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह महीना रहमत और बरकत वाला है। इस महीने में अल्लाह की बरकत एवं रहमत बरसती है। रमजान के रोजे और रोजेदारों का आदर होनी चाहिए।रोजेदार के सामने खाना-पीना या उसे परेशान करना ठीक नहीं।रोजेदारों का आदर करना भी सवाब का काम है।
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